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नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डिफिशिएंट कॉलेज के करीब 45 हजार छात्रों के पक्ष में फैसला लिया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच में डिफिशियंट और अपात्र पाए गए कॉलेजों के स्टूडेंट्स को परीक्षा देने की सशर्त अनुमति दी है।
बता दें, हाईकोर्ट का आदेश सत्र 2021-22 के छात्र-छात्राओं के लिए है। कोर्ट ने कहा कि स्टूडेंट्स के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें ये सुविधा दी गई है। हालांकि इन सभी स्टूडेंट्स को पास होना जरूरी है। अगर ये स्टूडेंट्स फेल होते है, तो अपात्र कॉलेजों की तरह उन्हें भी अपात्र घोषित कर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि स्टूडेंट्स को परीक्षा में बैठने की सशर्त अनुमति दी जा रही है। जिन छात्र-छात्राओं ने अध्ययन किया है या उन्होंने प्रशिक्षण लिया है। अगर वो परीक्षा में पास होते हैं, तो ही उन्हें आगे के लाभ मिलेंगे अन्यथा वे अपात्र हो जाएंगे।
नर्सिंग फर्जीवाड़े कॉलेज के चलते मध्य प्रदेश में पिछले 3 साल से नर्सिंग की परीक्षाएं नहीं हो पा रही थीं। इसके चलते हजारों छात्रों का भविष्य अंधकार में है। वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद एनएसयूआई ने इसे छात्रों की और खुद की जीत बताया।
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