20 मार्च को रंगभरी एकादशी है। इसे आंवला एकादशी भी कहा जाता है।
20 मार्च को रंगभरी एकादशी है। इसे आंवला एकादशी भी कहा जाता है।
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार अपनी प्रिय काशी नगरी आए थे।
इस दिन से वाराणसी में रंग खेलने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो लगातार 6 दिन तक चलता है।
रंगभरी एकादशी 20 मार्च रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 21 मार्च रात 2 बजकर 22 मिनट पर समापन होगा।
रंगभरी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
इससे उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पूजन का शुभ मुहूर्त 20 मार्च को सुबह 6 बजकर 25 मिनट से सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
रंगभरी एकादशी पर सुबह आंवले के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। पुष्प, धूप, नैवेद्य अर्पित करें।
आंवले के पेड़ के पास एक दीपक जलाएं और 27 या 9 बार परिक्रमा करें। इसके बाद सौभाग्य और स्वास्थ्य प्राप्ति की प्रार्थना करें।
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