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जनवरी 2024 में आयोग ने नया सिलेबस सामने लाया था। इसी में तय हो गया था कि अब यदि मप्र में अधिकारी बनना है तो फिर यहां के जनजातीय समाज को बेहतर तरीके से समझना होगा। चाहे पीएससी प्री हो या मेन्स का सिलेबस सभी में जनजातीय समाज को बहुत अधिक महत्व दिया गया है।
यह केंद्र और मप्र की राजनीति में जनजातीय समाज के बढ़ते महत्व को भी बताता है, बीजेपी सरकार का मैदान के साथ सिलेबस तक हर ओर इस समाज पर अधिक जोर है।
राज्य सेवा परीक्षा में प्री क्वालीफाइंग स्टेज होती है। इसमें सौ प्रश्नों और 200 अंकों के पेपर के लिए अब आयोग ने दस चैप्टर रखे हैं, जिसमें एक पूरा चैप्टर ही जनजातीय समाज पर है, जो वहीं अन्य चैप्टर में जनजातीय विषयों को जोड़ा गया है।
चेप्टर वन में इतिहास, संस्कृति है, जिसमें जनजातिया समाज की बोलियां, मप्र के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व सभी को जोड़ा गया है।
इसी तरह दसवां चैप्टर पूर तरह से आदिवासी समाज पर है और इसका विषय ही मप्र की जनजातियां विरासत, लोकसंस्कृत्ति, लोक साहित्य है। इसमें उनके भौगोलिक विस्तार, संवैधानिक प्रावधान, विशेष जनजातियां, बोली, साहित्य स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका, लोक संस्कृति, साहित्य सब कुछ शामिल है।
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