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सिम की गड़बड़ से आर्थिक परेशानी को झेलने से बचाने के लिए अर्थारिटी ने इसी माह 15 मार्च को नए नियम की जानकारी मुहैया कराई है और बताया है कि 1 जुलाई से लागू होने वाले इस नियम कई तरह के ऑनलाइन फ्रॉड पर तो रोक लगेगी ही, साथ ही लोग मानसिक परेशानी से भी बच पाएंगे।
जो नियम बनाया गया है, उसके अनुसार मोबाइल उपभोक्ता ने हाल ही में अपने सिम कार्ड स्वैप किया है, तो वह अपना मोबाइल नंबर पोर्ट नहीं कर पाएगा। असल में सिम स्वैप का अर्थ है कि उपभोक्ता ने अपना सिम कार्ड खो जाने, उसके टूट जाने या अन्य वजह से काम न करने पर बदला है।
इसके लिए करना यह होता है कि उपभोक्ता टेलीकॉम कंपनी के ऑपरेटर से संपर्क साधकर पुराने नंबर का ही नया सिम हासिल कर लेता है। नए नियम को फ्रॉड करने वालों को सिम स्वैपिंग या फिर रिप्लेसमेंट के तुरंत बाद मोबाइल कनेक्शन को पोर्ट करने से रोकने से रोकने के लिए उठाया गया है। पोर्ट का अर्थ यह होता है कि उपभोक्ता अपने नंबर को दूसरी टेलीकॉम कंपनी में ट्रांसफर नहीं करवा सकता है।
पोर्ट का चलन इसलिए बढ़ गया है कि अनेकों उपभोक्ताओं को अपने इलाके में किसी टेलीकॉम कंपनी का नंबर नहीं लगता है तो वह बदल लेता है। लोग अपना लेन-देन मोबाइल के जरिए ही कर रहे हैं, इसलिए सिम स्वैपिंग भी फ्रॉड बढ़ गए हैं, जिसमें फ्रॉड करने वाले उपभोक्ता के पेन कार्ड और आधार की फोटो कॉपी आसानी से पा लेते हैं और उसके बाद मोबाइल खो जाने का हवाला देकर नया सिम कार्ड जारी करा लेते हैं।
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