जानें क्या है हरतालिका तीज रखने के नियम

हरतालिका तीज का व्रत रखने के एक दिन पूर्व से ही सात्विक भोजन करना चाहिए और तीज पूजा सामग्री और सरगी की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।

हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है, इसमें अन्न, जल, फल आदि खाना वर्जित है। यहि व्रत तीज के सूर्योदय से चतुर्थी के सूर्योदय तक रखा जाता है। इस व्रत में 24 घंटे तक कुछ नहीं खाते हैं।

तीज के दिन व्रती को ब्रह्म मुहूर्त 04:30 ए एम से 05:16 ए एम के बीच नित्य कर्म से मुक्त होकर सरगी खाना चाहिए। सरगी में आप फल, मिठाई आदि का सेवन कर सकती हैं। सूर्योदय 06:02 ए एम से आपका व्रत प्रारंभ हो जाएगा।

तीज पूजा में माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति या तस्वीर का उपयोग करें। पूजा प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त 06:36 पी एम के बाद करें। पूजा के लिए मूर्ति की स्थापना दोपहर में करते हैं।

इस दिन व्रती को सोलह श्रृंगार के साथ नए वस्त्र पहनना चाहिए. माता पार्वती की पूजा में पीले सिंदूर का इस्तेमाल करते हैं। पूजा के समय आप भी पीला सिंदूर लगाएं। य​ह सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

तीज पूजा में माता पार्वती को भी सुहाग सामग्री, लाल साड़ी, चुनरी आदि चढ़ाते हैं। इसके बाद हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनते हैं और माता पार्वती और शिव जी की आरती करते हैं।

अगर जीवनसाथी के लिए व्रत कर रही हैं, वे शिव जी और माता पार्वती से मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद लें।

रात के समय में जागरण करें। फिर 7 सितंबर को सुबह में स्नान करके दैनिक पूजा करें। ब्रह्माणों को दान और दक्षिणा दें। उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करें।