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इस मूर्ति को इंदौर के मूर्तिकार महेंद्र कोटवानी ने अपने स्टूडियो पर 10 मूर्तिकारों के साथ एक साल की मेहनत से तैयार किया। पांच टन की इस प्रतिमा को बनाने के लिए पहले 8 इंच की मोम की प्रतिकृति बनाई गई थी।
संत रविदास मध्यकाल के सबसे बड़े भक्ति कवियों में शुमार थे। इनके कई रचे हुए दोहों को सिख गुरुओं ने अपने ग्रंथों में स्थान दिया है। मीरा भी संत रविदास को अपना गुरु मानती थीं।
संत रविदास की ये प्रतिमा 25 फीट ऊंची और 5 टन वजनी है। संत रविदास की यह प्रतिमा देश में सबसे ऊंची है।
स्टैच्यू का निर्माण कार्य जुलाई 2023 में शुरू हुआ था। सबसे पहले 2 टन वजनी लोहे से स्ट्रक्चर बनाया गया। इसमें अलग तरह की घास भरी गई। फिर पीओपी से प्रतिमा का ढांचा तैयार किया और ब्रांस मटेरियल का उपयोग किया गया।
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