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ये शोध टाटा अस्पताल के खारघर स्थित एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एक्ट्रेक) अस्पताल के डॉ. इंद्रनील मित्रा के नेतृत्व में शोध किया गया है।
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जानकारी के मुताबिक इस समस्या का समाधान निकालने के लिए डॉक्टरों ने चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर (तांबा) के संयुक्त प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट दी। ये टैबलेट क्रोमोसोम को बेअसर करने में असरदार रही।
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डॉक्टरों का कहना है कि पिछले एक दशक से टाटा के डॉक्टर्स इस पर शोध कर रहे हैं। इस टैबलेट को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मंजूरी का इंतजार है।
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टाटा के बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. नवीन खत्री के अनुसार इलाज के दौरान मरीज के मुंह में छाले पड़ जाते हैं, कॉपर- रेसवेरेट्रॉल के सेवन से इस तकलीफ से काफी राहत मिलती है।
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