24 मार्च को होलिका दहन होगा और 25 मार्च को रंग-गुलाल खेला जाएगा।

इन 5 लोगों को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।

नई दुल्हन को पहली होली मायके में ही मनानी चाहिए। होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।

होलिका जब अग्नि में भस्म हुई तो अगले ही दिन उसका विवाह इलोजी से होना था। इलोजी की मां जब बेटे की बारात लेकर पहुंची तो होलिका की चिता देखकर प्राण त्याग दिए थे।

उस समय से ये प्रथा है कि नई दुल्हन पहली होली पर ससुराल में नहीं रहती।

सास-बहू को एक साथ होलिका दहन नहीं देखना चाहिए, ऐसा होने पर रिश्तों में मतभेद बढ़ता है।

इकलौती संतान के माता-पिता को भी होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। प्रह्लाद भी कयाधु-हिरण्यकश्यप की इकलौती संतान थे।

गर्भवतियों को भी होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। उनके लिए होलिका की परिक्रमा बेहद अशुभ होती है।

नवजात शिशु को भी होलिका दहन से दूर रखना चाहिए। इससे उन पर नेगेटिव असर पड़ सकता है।