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कहते हैं चावल जितना पुराना हो उतना ही अच्छा होता है. राजनीति में भी पुराने चावलों की खूब बखत है. ये चावल जब तक पार्टी के लिए तजुर्बा है तब तक ठीक है. लेकिन कहीं बागी हुए तो पूरी हांडी के चावलों के लिए मुश्किल बन जाते हैं. मध्यप्रदेश की चुनावी हांडी में तो ऐसे बहुत से पुरान चावल हैं जो पूरा चुनावी जायका ही बिगाड़ सकते हैं. ये पुराने चावल वो नेता हैं जिनकी राजनीति ही नहीं अपने क्षेत्र में पकड़ बहुत गहरी है. और, अब ये अपनी ही पार्टियों के गले की फांस बन चुके हैं. इस मामले में कांग्रेस और बीजेपी दोनों का हाल एक ही जैसा है.
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