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गुरु पूर्णिमा का पर्व इस साल 21 जुलाई को मनाया जाएगा, जो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पड़ता है।
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महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए इस दिन को उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
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गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों का सम्मान करने और उन्हें गुरु दक्षिणा देने का विशेष महत्व है।
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यह माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और दान-पुण्य करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन के बाद मोक्ष मिलता है।
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भगवान विष्णु की आराधना और स्नान-दान का भी इस दिन विशेष महत्व है; ऐसा कहा जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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पूजा विधि के अंतर्गत गंगा स्नान, सूर्यदेव को जल चढ़ाना, लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की पूजा करना शामिल है।
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पूजा में चंदन और हल्दी का उपयोग शुभ माना जाता है और ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
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गुरु दोष से मुक्ति के लिए प्रातः काल स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की पूजा करें।
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गरीबों और जरूरतमंदों को पीले वस्त्र, दाल, चना, घी, गुड़ आदि का दान करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें।
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गुरु यंत्र की स्थापना करके उसकी विधि पूर्वक पूजा करें और गुरुवार का व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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