गुरु पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी के साथ आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई शाम 5 बजकर 59 मिनट पर होने वाली है।
आपको बता दें कि 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए 21 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा व्रत भी 21 तारीख को ही रखा जाएगा।
क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा
जानकारी के मुताबिक लगभग 3000 ई.पूर्व पहले आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसके बाद से ही व्यास जी के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का दिन बनाया जाता है।
क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व
आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों के सम्मान और उन्हें गुरु दक्षिणा देने का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन अपने गुरु और गुरु तुल्य वरिष्ठजनों को मान-सम्मान देते हुए उनका आभार जरूर व्यक्त करना चाहिए।
माना जाता है कि जो मनुष्य गुरु पूर्णिमा का व्रत रखता है और दान-पुण्य करता है, उसे जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन के बाद मोक्ष मिलता है।
विष्णु की आराधना का खास महत्व
आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की आराधना और स्नान-दान करने का खास महत्व है। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि जो इस पवित्र दिन का उपवास रखते हैं और चंद्र देव को अर्घ्य देते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही यह तिथि स्नान-दान के लिए बहुत शुभ मानी जाती है।
पूजा विधि
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए। फिर लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
पूजा में चंदन और हल्दी का उपयोग करना शुभ होता है। पूजा के दौरान ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें।
गुरु दोष से मुक्ति के उपाय
- गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- उसके बाद भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की पूजा करें।
- पूजा के बाद, गरीबों और जरूरतमंदों को पीले वस्त्र, दाल, चना, घी, गुड़ आदि का दान करें।
- गुरु पूर्णिमा के दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति को पीले फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
- इसके बाद, अपने गुरुजनों को पीले रंग का वस्त्र दान करें।
- गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु यंत्र की स्थापना करके उसकी विधि पूर्वक पूजा करें।
- गुरु यंत्र को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें और उस पर चंदन, हल्दी, कुमकुम और गंगाजल से स्वस्तिक बनाकर पूजा करें।
- इसके बाद, गुरु यंत्र मंत्र का 108 बार जाप करें।
- गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार का व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- गुरुवार के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनें, भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की पूजा करें और केले का प्रसाद अर्पित करें।
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