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लखनऊ के चरक अस्पताल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक मृत मरीज का पांच दिन तक इलाज चलता रहा, जबकि मरीज की पहले ही मौत हो चुकी थी।

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मृतक विशाल पांडे के परिजनों का दावा है कि डॉक्टर डेंगू के इलाज के नाम पर उन्हें मरीज से मिलने नहीं दे रहे थे, और जब उन्होंने जबरदस्ती वार्ड में प्रवेश किया, तब इस घटना का खुलासा हुआ।

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परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पांच लाख रुपए वसूलने के इरादे से लाश का इलाज जारी रखा था, जिससे परिजन नाराज होकर हंगामा करने लगे।
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यह घटना अक्षय कुमार की फिल्म 'गब्बर इज बैक' के एक दृश्य की याद दिलाती है, जहां अस्पताल में मरीज की मौत के बाद भी इलाज चलता रहता है।
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इस घटना की तुलना पहले हरियाणा के सोनीपत में घटी एक अन्य घटना से की जा रही है, जहां एक मरीज की मौत छिपाकर अस्पताल ने इलाज के लिए पैसे वसूले थे।
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सोनीपत की घटना में भी परिजनों का आरोप था कि अस्पताल ने मरीज की मौत की जानकारी छिपाई और 10 दिन में 14 लाख रुपए का बिल बना दिया।
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लखनऊ की घटना से अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों की गैरजिम्मेदारी उजागर हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।
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इस तरह की घटनाएं अस्पतालों में पारदर्शिता और नैतिकता की कमी को दर्शाती हैं, जो समाज और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
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