{{ primary_category.name }}
Read Full Story
शेख हसीना का जीवन संघर्ष से भरा रहा है, बचपन में उन्होंने अपने पिता शेख मुजीबुर्रहमान से जीवन जीने की कला सीखी।
Read Full Story
1981 में राजनीति में कदम रखने के बाद शेख हसीना अवामी लीग की अध्यक्ष बनीं और कई बार उनके ऊपर जानलेवा हमले हुए।
Read Full Story
1988 में इरशाद शासन के दौरान चटगाँव में शेख हसीना के काफिले पर हमला हुआ था।
Read Full Story
1989 में ढाका के धनमंडी में उनके आवास पर फ्रीडम पार्टी के हथियारबंद लोगों ने हमला किया।
Read Full Story
1991 में उपचुनावों के दौरान हसीना पर गोलियां चलाई गईं, लेकिन वे सुरक्षित रहीं।
Read Full Story
1994 में यात्रा के दौरान उनके रेल कोच पर गोलियां चलाई गईं, लेकिन वे बच गईं।
Read Full Story
2000 में गोपालगंज में रैली के दौरान विस्फोटक बरामद हुए, जिससे उनकी हत्या की साजिश नाकाम हो गई।
Read Full Story
2004 में ढाका में ग्रेनेड हमले में 24 लोग मारे गए, लेकिन शेख हसीना बाल-बाल बचीं।
Read Full Story
2011 में अंतरराष्ट्रीय समूह ने हसीना की हत्या की साजिश रची थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई।
Read Full Story
2014 में प्रशिक्षित महिला आतंकवादियों द्वारा हसीना की हत्या की साजिश रची गई थी।
Read Full Story
{{ primary_category.name }}