Sheikh Hasina's Struggle Story : जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है। यह बात बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ( Sheikh Hasina ) पर एक दम सटीक बैठती है। उन्होंने शुरुआत के दिनों से ही संघर्ष देखा हैं। बचपन में माँ और दादी के साए में पली शेख हसीना को पिता का प्यार कम ही नसीब हो पाया, क्योंकि हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान अक्सर जेल में बंद रहते थे। दूर रहने के बाद भी शेख हसीना को उनके पिता ने काफी प्रभावित किया। संघर्ष के बीच भी जीवन जीने की कला शेख हसीना को उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) से ही मिली।
राजनीतिक जीवन शुरू करने के बाद बनी निशाना
शेख हसीना ने राजनीति में कदम 1981 में रखा जब वे अवामी लीग की अध्यक्ष बनीं। उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति थे, जिनकी 1975 में हत्या कर दी गई थी। इसके बाद हसीना ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने का निर्णय लिया था। शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के खिलाफ विभिन्न विपक्षी दलों ने कई बार विरोध प्रदर्शन और हिंसा का सहारा लिया। उनके ऊपर हुए कई हमले राजनीतिक विरोधियों द्वारा किए गए थे, जो उनकी सरकार और उनके नेतृत्व को कमजोर करना चाहते थे। हालांकि शेख हसीना कमजोर नहीं हुई और दोबारे दुगुनी ताकत के साथ लौटीं।
शेख हसीना पर हुए प्रमुख हमलों की लिस्ट कुछ इस प्रकार है
- इरशाद शासन के दौरान 24 जनवरी 1988 को बांग्लादेश के चटगाँव के लालदीघी मैदान में आठ-पक्षीय गठबंधन की एक सार्वजनिक रैली आयोजित की जानी थी। चटगाँव हवाई अड्डे से घटनास्थल पर जाते समय शेख हसीना के काफिले पर सशस्त्र हमला किया गया।
- 10 अगस्त 1989 को दो फ्रीडम पार्टी के हथियारबंद लोगों ने ढाका के धनमंडी में हसीना के आवास पर हमला किया।
- 20 फरवरी 1997 को हत्या के प्रयास के साढ़े सात साल बाद 16 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करके 5 जुलाई 2009 को मुकदमा शुरू हुआ।
- 11 सितंबर 1991 को चौथी संसद के उपचुनावों के दौरान ढाका के धनमंडी में ग्रीन रोड पर एक मतदान केंद्र का दौरा करते समय हसीना पर गोलियां चलाई गईं। हालांकि गोलियां उनकी कार पर लगीं, लेकिन वे बाल-बाल बच गईं।
- 23 सितंबर 1994 को शेख हसीना जिस रेल कोच में यात्रा कर रही थीं, उस पर निशाना साधते हुए कई गोलियां चलाई गईं। उनके कोच पर कई गोलियां चलाई गईं, लेकिन शेख हसीना सुरक्षित रहीं क्योंकि गोलियां निशाना चूक गईं।
- 7 मार्च 1995 को ढाका के शेख रसेल स्क्वायर में एक रैली को संबोधित करते समय हसीना पर फिर से हमला किया गया।
- 7 मार्च 1996 को हसीना बंगबंधु एवेन्यू पर एक रैली को संबोधित कर रही थीं। अचानक एक माइक्रोबस से उन पर गोलियां चलाई गईं और बम फेंके गए।
- 22 जुलाई 2000 को प्रधानमंत्री हसीना को गोपालगंज के कोटालीपारा में एक स्थानीय कॉलेज ग्राउंड पर एक रैली करनी थी। 20 जुलाई 2000 को सेना के विस्फोटक विशेषज्ञों ने जमीन के पास 76 किलोग्राम और 40 किलोग्राम वजन के बम बरामद किए।
- 30 मई 2001 को हसीना को बांग्लादेश के खुलना में रूपशा ब्रिज का उद्घाटन करना था। आतंकवादियों ने उद्घाटन स्थल पर बम लगाया। हालांकि जासूसों ने हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया और विस्फोटक बरामद कर लिया।
- 25 सितंबर 2001 को कार्यवाहक सरकार के दौरान शेख हसीना एक राजनीतिक रैली करने के लिए सिलहट गई थीं। वहां बम लगाकर आतंकवादी समूह हूजी-बी ने उनकी हत्या की योजना बनाई।
- 4 मार्च 2002 को तत्कालीन विपक्ष की नेता और अवामी लीग की अध्यक्ष हसीना के काफिले पर बांग्लादेश के नौगांव में हमला हुआ था।
- 2 अप्रैल 2002 को बीएनपी-जमात सरकार के दौरान बदमाशों ने बारीसाल के गौरनाडी में हसीना के काफिले पर गोलीबारी की थी।
- 2004 में ग्रेनेड हमला ढाका में बंगबंधु एवेन्यू पर अवामी लीग के केंद्रीय कार्यालय के सामने एक रैली में हुआ था। इस हमले में 24 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे। हसीना हत्या के प्रयास में बाल-बाल बच गई थीं।
- 2006 में अवामी लीग प्रमुख के जेल में रहने के दौरान हसीना के भोजन में जहर मिलाकर उनकी हत्या का प्रयास किया गया था।
- 2011 में एक अंतरराष्ट्रीय समूह और कुछ पाकिस्तानी नागरिकों ने श्रीलंका में एक आतंकवादी समूह के साथ अनुबंध किया और हसीना की हत्या के लिए एक आत्मघाती दस्ता बनाया।
- 2014 के अंत में प्रशिक्षित महिला आतंकवादियों द्वारा हसीना की हत्या की साजिश रची गई थी।
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