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गुजराती बाबा, जिनका असली नाम जगदीशानंद गुरु कल्याणदास है, पिछले 33 सालों से देवी साधना में लीन हैं और उन्होंने देशभर में 24 से 25 समाधियां ली हैं।
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बाबा ने नवरात्रि के दौरान मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक अनोखी साधना की, जिसमें उन्होंने अपने शरीर को गर्दन से पैर तक जमीन में दबा रखा है और सिर के ऊपर जवारे बोए हैं।
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यह कठोर तपस्या सात दिन तक चलती है, जिसमें बाबा अन्न-जल का त्याग करते हैं, और दशहरे के दिन इसका समापन होता है।
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बाबा का जीवन बेहद दिलचस्प है; वे मूलतः गुजरात के रहने वाले हैं और मुंबई में दो बड़े मॉल के मालिक थे, लेकिन देवी भक्ति के कारण उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया।
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बाबा का दावा है कि उनकी साधना से 100 किलोमीटर तक के खेतों में ज्वारों की हरियाली बनी रहती है।
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बाबा दोनों नवरात्रि, चैत्र और शारदीय में समाधि लेते हैं, जिसे जवारा समाधि कहते हैं, और इसमें शरीर को मिट्टी में दबाया जाता है।
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बाबा का उद्देश्य जगत कल्याण, व्यसन मुक्ति और सनातन धर्म की एकता के लिए देवी की आराधना करना है।
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करौंदिया गांव में जहां बाबा ने समाधि ली है, वहां खाटू श्याम का भव्य मंदिर निर्माणाधीन है। बाबा की समाधि के दौरान केवल उनका मुंह खुला रहता है और आस-पास माता के जवारे लगाए गए हैं।
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