मध्य प्रदेश के खरगोन में नवरात्रि ( Navratri ) पर एक संत की अनोखी साधना देखी गई। गर्दन से पैर तक का बाबा का शरीर जमीन के अंदर है। सात दिन से अन्न-जल त्याग कर यह कठोर तपस्या जारी है। दशहरे के दिन समापन होगा। गुजराती बाबा का नाम जगदीशानंद गुरु कल्याणदास ( Jagadishanand Guru Kalyandas ) है। वे पिछले 33 सालों से देवी साधना में लीन हैं। बाबा अब तक देशभर में 24 से 25 समाधियां ले चुके हैं, हिमालय से शुरुआत हुई और गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के जैसे राज्यों में भी समाधि ली है।
मध्य प्रदेश के खरगोन में नवरात्र पर एक संत की अनोखी साधना देखी गई. बाबा गर्दन से खुद को पैर तक शरीर को जमीन के अंदर किया और सिर के ऊपर जवारे बो लिए है...
— TheSootr (@TheSootr) October 10, 2024
➡सात दिन से अन्न-जल त्याग कर यह कठोर तपस्या जारी है. दशहरे के दिन समापन होगा।
➡बाबा, समाधि के दौरान केवल एक-दो चम्मच पानी… pic.twitter.com/qc7nxz5oOB
बाबा का जीवन दिलचस्प
गुजराती बाबा का असल जीवन भी बेहद दिलचस्प है। बाबा मूलत: गुजरात के रहने वाले हैं और मुंबई में दो बड़े मॉल के मालिक थे, लेकिन देवी भक्ति में उनका मन ऐसा रम गया कि सब कुछ छोड़कर हिमालय चले गए थे।
खरगोन में बाबा तपस्या में लीन
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर महेश्वर विकासखंड के करौंदिया गांव में 50 साल के गुजराती बाबा ने नवरात्रि पर अनोखी साधना कर रहे हैं। यह तपस्या दशहरे तक चलेगी और इस दौरान बाबा अन्न-जल त्याग कर देवी की उपासना में लीन हैं। दरअसल, बाबा ने यहां ज्वारा समाधि ली है। ( इस समाधि में शरीर को मिट्टी में दबाकर उस पर गेहूं के ज्वारे बोए जाते हैं ) बाबा का दावा है कि मां भगवती की कृपा से 100 किलोमीटर तक के खेतों में ज्वारों की हरियाली बनी रहती है।
3 अक्टूबर को बाबा ने ली थी समाधि
बाबा के भक्तों ने बताया बाबा इस अनोखी साधना के माध्यम से जगत कल्याण, व्यसन मुक्ति और सनातन धर्म की एकता के लिए देवी की आराधना कर रहे हैं। 3 अक्टूबर को हवन पूजन के बाद यह समाधि ली थी, जो 12 अक्टूबर को दशहरे के दिन पूरी होगी। समाधि के दौरान बाबा केवल एक-दो चम्मच पानी पीते हैं ताकि शरीर की नसें न सूख जाएं।
बाबा दोनों नवरात्रि में लेते हैं समाधि
करौंदिया गांव के श्रद्धालु का कहना है कि गुरुदेव साल में दो बार समाधि लेते हैं। इसे जवारा समाधि भी कहते हैं। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में समाधि लेते हैं। इस दौरान में पूरा शरीर मिट्टी के अंदर रखते हैं और केवल मुंह बाहर रहता है। गुजराती बाबा मां दुर्गा और इष्ट देव काल भैरव की साधना करते हैं।
मंदिर निर्माण के साथ जुड़ा उद्देश्य
करौंदिया गांव में गुजराती बाबा ने जिस स्थान पर समाधि ली है, वहां खाटू श्याम का भव्य मंदिर निर्माणाधीन है। खेत में 4×10 के 3 फीट गहरे गड्ढे में बाबा को लिटाकर मिट्टी डालकर समाधि दी गई है। केवल बाबा का मुंह खुला है और आसापास माता के जवारे लगाए हैं। इससे पहले उन्होंने चैत्र नवरात्रि में बारहद्वार हनुमान मंदिर में समाधि ली थी।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक