काशी में हटी साईं बाबा की मूर्तियां, ब्राह्मण सभा ने क्यों कहा भूत की पूजा के बराबर

हिंदू मंदिरों में साईं की मूर्ति और पूजा को लेकर फिर बवाल मच गया है। सनातन रक्षक दल ने इसका विरोध किया और धार्मिक नगरी काशी के मंदिरों से साईं की मूर्तियों को हटाने का काम भी शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत वाराणसी के बड़ा गणेश मंदिर से हुई है।

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Ravi Singh
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काशी के मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमा हटाए जाने का मामला अब बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय ब्राह्मण सभा द्वारा विरोध किया गया था। इसका सबसे ज्यादा असर वाराणसी में देखने को मिल रहा है, जहां कम से कम 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी गई हैं। इसे लेकर पूरे काशी में हड़कंप की स्थिति है। कई लोगों ने इस फैसले का समर्थन किया है तो कुछ लोग इसके विरोध में भी उतर आए हैं।

साईं बाबा की पूजा, भूत की पूजा बराबर

ब्राह्मण सभा का कहना है कि साईं बाबा की पूजा करना भूत की पूजा करने के बराबर है। यही वजह है कि इसे सनातन विरोधी कहा जा रहा है। वाराणसी में ब्राह्मण सभा के लोग साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने और उनकी पूजा पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। आपको बता दें कि देश में साईं बाबा के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं और उनके भक्तों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है।

साईं बाबा का शास्त्रों में प्रमाण नहीं

इसकी शुरुआत रविवार 22 सितंबर को हुई थी जब सनातन रक्षक दल के सदस्यों ने बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की प्रतिमा हटाई थी। सोमवार को पुरुषोत्तम भगवान मंदिर में भी ऐसा हुआ। ऐसा कर रहे लोगों का कहना है कि सनातन में साईं बाबा की पूजा कोई प्रावधान नहीं है और न ही शास्त्रों में प्रमाण है। जानकारी न होने की वजह से लोग साईं बाबा की मूर्तियां मंदिरों में स्थापित कर रहे हैं जो कि गलत है।

शारदा पीठ के शंकराचार्य ने उठाई आवाज

साईं बाबा का विरोध कोई नई बात नहीं है। इससे पहले ज्योतिषाचार्य और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। तब भी इस पर काफी हंगामा हुआ था। अब एक बार फिर काशी में यह मुद्दा उठा है। लेकिन, इस बार यह मुद्दा राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है। सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने इसका विरोध किया है।

चांद मिया का साईं बाबा से कनेक्शन

माना जाता है कि साईं बाबा का जन्म महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम गोविंद भाऊ और माता का नाम देवकी अम्मा था। गोविंद भाऊ के पांच बेटे थे, जिनमें से साईं बाबा तीसरे बेटे थे। जहां तक ​​साईं बाबा का चांद मियां से संबंध का सवाल है तो साईं बाबा के पुश्तैनी घर के पास ही एक मुस्लिम परिवार रहता था। उस परिवार के मुखिया का नाम चांद मियां था। कहा जाता है कि उनकी कोई संतान नहीं थी। हरिबाबू यानी साईं बाबा उनके घर पर काफी समय बिताते थे। चांद मियां की पत्नी भी हरिबाबू को अपने बेटे की तरह मानती थीं। उन्हें चांद मियां कहलाने की वजह इसी से जुड़ी है।

धीरेंद्र शास्त्री ने साईं बाबा को बताया था चांद मियां

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक टीवी शो के दौरान साईं बाबा को चांद मियां बताया, उन्होंने कहा कि हम उस वक्त नहीं थे, अगर होते तो पता चलता की वह टोपी पहनते है या फिर माला पहनते थे। तो हम बता पाते की साईं बाा हिंदू थे या ​मु​सलमाल? कोर्ट और एक पत्रकार ने जो कहा था वो हमने वो सुना है। इससे पहले भी साईं बाबा को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भी सवाल उठा चुके हैं। उनका कहना था की शिरडी में साईं बाबा की मजार बनी हुई है। क्यों​कि हिंदुओं में समाधि दी जाती है। इससे साबित होता है कि वह मुस्लिम थे। उनका कहना था की जहां मजार बनी है। वहां उनकी मूर्ति लगा दी गई है। साईं बाबा के विरोधियों का कहना है कि वह हिंदू नहीं थे वह मुस्लिम थे।

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