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विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस आदिवासी समुदायों के अधिकारों, संस्कृति, भाषा और परंपराओं के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है।
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इस दिवस की शुरुआत 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी, जब 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस घोषित किया गया था।
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इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि 9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्र ने 'स्वदेशी आबादी पर कार्य समूह' की पहली बैठक आयोजित की थी।
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आदिवासी समुदायों का सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक महत्व है, लेकिन वे अक्सर अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं और विकास के लाभों से अछूते रह जाते हैं।
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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासी जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा है, मध्य प्रदेश में लगभग 21% और छत्तीसगढ़ में लगभग 31% जनसंख्या आदिवासी समुदायों की है।
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मध्य प्रदेश के प्रमुख आदिवासी समूहों में गोंड, भील, बैगा, कोरकू, कोल, भारिया, हड़पा आदि शामिल हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में गोंड, मुरिया, हल्बा, भतरा, कंवर, उरांव, कमार और बैगा प्रमुख हैं।
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इन दोनों राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों के जनसंख्या का विधानसभा सीटों के आरक्षण और राजनीतिक प्रभाव पर भी असर पड़ता है। मध्य प्रदेश में 47 विधानसभा सीटें और छत्तीसगढ़ में 39 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं।
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विश्व आदिवासी दिवस 2024 की थीम "स्वैच्छिक एकांत और प्रारंभिक संपर्क में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा" है, जो उन आदिवासी समूहों पर केंद्रित है जो खुद को बाहरी दुनिया से अलग रखते हैं।
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इस थीम का उद्देश्य उन आदिवासी समूहों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करना है जो दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होते हैं।
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इस दिवस को मनाने के दौरान विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों के माध्यम से आदिवासी समुदायों के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है।
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