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लेटरल एंट्री एक प्रक्रिया है जिसके तहत निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र, और शिक्षाविदों में विशेषज्ञता रखने वाले अनुभवी पेशेवरों को सीधे उच्च पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) या अन्य केंद्रीय सेवाओं में भर्ती किया जाता है।
लेटरल एंट्री का उद्देश्य सरकार में विशेषज्ञता और अनुभव को शामिल करना है, जो पारंपरिक UPSC सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से भर्ती होने वाले उम्मीदवारों में नहीं मिल पाता।
लेटरल एंट्री के तहत उम्मीदवारों को संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव, या अन्य उच्च पदों पर नियुक्त किया जा सकता है।
यह प्रक्रिया खासतौर पर उन पदों के लिए होती है जहाँ विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जैसे अर्थशास्त्र, वित्त, ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, या स्वास्थ्य से जुड़े क्षेत्र।
इस प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्तियों का उद्देश्य नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करना है।
लेटरल एंट्री के तहत उम्मीदवारों का चयन एक इंटरव्यू या स्क्रूटनी के माध्यम से किया जाता है, और इस प्रक्रिया में सामान्य UPSC सिविल सेवा परीक्षा का हिस्सा नहीं होता।
UPSC में लेटरल एंट्री की शुरुआत भारत सरकार ने 2018 में की थी। पहली बार में केंद्र सरकार ने 10 संयुक्त सचिव (Joint Secretary) पदों के लिए लेटरल एंट्री की घोषणा की।
हालांकि अब इसे बंद करने के लिए केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है।
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