जैव विविधता: बगिया में लगाए 250 से ज्यादा पौधे, जड़ी-बूटी के लिए कहीं भी चले जाते हैं

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जैव विविधता: बगिया में लगाए 250 से ज्यादा पौधे, जड़ी-बूटी के लिए कहीं भी चले जाते हैं

मध्य प्रदेश के सतना जिले के किसान राम लोटन सब्जियों के देसी बीज और जड़ी-बूटी के संरक्षण में जुटे हैं। उनकी बगिया में इस वक्त 250 से ज्यादा औषधीय पौधे हैं। दरअसल राम लोटन कुशवाहा का देशी म्यूजियम है, जिसमें वो जैव विविधता को सहेज रहे हैं। वे कहते हैं कि देसी सब्जियों और जड़ी-बूटियों से मुझे इतना लगाव है कि दिन-रात कब ढल जाते हैं, इसका पता नहीं लग पाता। आप ये मान लीजिए यही सब्जियां और जड़ी बूटियां मेरा सब कुछ हैं।

सब्जियों, जड़ी-बूटियों के दीवाने हैं

राम लोटन कुशवाहा, देशी सब्जियों और जड़ी बूटियों के संरक्षण को लेकर दीवाने हैं। राम लोटन (64) मध्य प्रदेश के सतना जिले उचेहरा ब्लॉक के गांव अतरवेदिया में रहते हैं। उनका गांव जिला मुख्यालय सतना से 25 किलोमीटर दूर है। यहीं पर राम लोटन एक एकड़ से कुछ कम खेत में औषधीय गुणों से भरी जड़ी बूटियों का संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं। साथ में हर साल कई तरह की सब्जियां उगाते हैं। राम लोटन की बगिया में मौजूदा समय में 250 से भी अधिक औषधीय पौधों का अनुपम संग्रह है। यह यहां संवर्धित हो रहे हैं।

आकार के आधार पर नाम

राम लोटन के मुताबिक, लौकियों को उनके आकार के आधार पर नाम दिए गए हैं। जैसे अजगर लौकी, बीन वाली लौकी, तंबूरा लौकी आदि इनमें से कुछ खाने के काम आती हैं, बाकी का औषधीय इस्तेमाल होता है। इससे पीलिया, बुखार ठीक किया जाता है।उनकी बगिया में सिंदूर, अजवाइन, शक्कर पत्ती, जंगली पालक, जंगली धनिया, जंगली मिर्चा के अलावा गौमुख बैगन, सुई धागा, हाथी पंजा, अजूबी, बालम खीरा, पिपरमिंट, गरूड़, सोनचट्टा, सफेद और काली मूसली और पारस पीपल जैसी तमाम औषधीय गुण के पौधे रोपे गए हैं।

हिमालय से ले आये ब्राम्ही

जड़ी बूटियों को खोजने के लिए राम लोटन कहीं भी जा सकते हैं। ब्राम्ही के लिए हिमालय तक गए थे। वो बताते हैं, लोग कहते रहे कि हिमालय के पौधे यहां कैसे हो सकेंगे? लेकिन मेरी बगिया में सब कुछ वैसा ही फल-फूल रहा है। इसके अलावा अमरकंटक समेत अन्य जंगलों में भी भटके हैं।उनके पास सुई धागा नामक की एक जड़ी बूटी है। इस जड़ी-बूटी के बारे में वो बताते हैं, राजाओं के जमाने में तलवारें जब लड़ाइयों में चलती थी तो कट जाना सामान्य था। कहा जाता है यही सुई धागा घाव भरने का काम करती थी। बस इसे काट लें और दूध के साथ बांट लें। जहां कटा है वहां लगा लें, कुछ ही घंटों में इसका असर दिखाई देने लगता है।

बैगाओं ने बताए राज

राम लोटन ये भी बताते हैं कि बगिया पिता से मिल गई थी, लेकिन बाकी जड़ी बूटियों का ज्ञान बैगाओं (जनजाति) से लिया। वो जंगल में होने वाली आयुर्वेदिक औषधियों की जानकारी बखूबी रखते हैं। उनसे मिलने जाता रहता हूं। वह भी मेरे पास आते रहते हैं। रामलोटन कुशवाहा को इलाके में 'वैद्य जी' कहा जाने लगा है।

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