नारायणपुर में जल-जंगल-जमीन बचाने आदिवासियों का आंदोलन, पारंपरिक हथियारों के साथ निकाल रहे रैली, बोले- मांगें पूरी, तभी हटेंगे 

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The Sootr CG
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नारायणपुर में जल-जंगल-जमीन बचाने आदिवासियों का आंदोलन, पारंपरिक हथियारों के साथ निकाल रहे रैली, बोले- मांगें पूरी, तभी हटेंगे 

NARAYANPUR. केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ एक बार फिर आदिवासी सड़क पर उतर आए हैं। दरअसल, पिछले तीन महीने से अबूझमाड़ के आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इसके साथ ही छोटेडोंगर से तोयामेटा सड़क चौड़ी करण और क्षेत्र में नवीन कैंप खोलने जैसे आमादई खदान को बंद करने को लेकर भी ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है। इसके अलावा बेकसूर आदिवासियों की जेल से रिहाई की मांग भी कर रहे हैं। आदिवासियों का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।





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12 जनवरी से कर रहे आंदोलन





जानकारीके अनुसर नारायणपुर जिले के ग्राम मडोनार, जहां अबूझमाड़ के हजारों आदिवासीयों ने एक बार फिर 12 जनवरी से आंदोलन कर रहे हैं। अपनी पारंपरिक हथियारों के साथ जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए ग्राम मडोनार और होड़नार के बीच में हजारों की संख्या में अबूझमाड़ के ग्रामीणों द्वारा राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। आदिवासियों का कहना है कि ग्रामीण आदिवासियों ने अपनी मांग पूरा होने तक आंदोलन को जारी रखने की चेतावनी दी है। वहीं 23 मार्च 2023 को आंदोलन में लगभग 6 हजार से अधिक की संख्या में आदिवासी शामिल हुए। उन्होंने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और बस्तर के वीर शहीदों को याद किया और कार्यक्रम का आयोजन कर रैली निकाली गई। मौजूद आदिवासियों ने सड़क चौड़ीकरण, नवीन कैंप और आमादई को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।





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आदिवासियों ने कहा- जरूरी सेवाओं को छोड़, आवागमन बर्दाश्त नहीं





वहीं आंदोलन कर रहे ग्रामीण आदिवासियों का कहना कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं, वे जंगल से नहीं हटेंगे। इतना ही नहीं जब तक आंदोलन चलेगा, तब तक के लिए आदिवासी राशन-पानी भी अपने साथ लेकर आए हैं। आंदोलन कर रहें आदिवासियों ने कहा कि जरूरी सेवाओं को छोड़कर किसी भी प्रकार का आवागमन बर्दाश्त नहीं करेंगे। आदिवासी पारंपरिक हथियारों के साथ आंदोलन करने निकले हैं। घने जंगलों के बीच पारंपरिक हथियारों के साथ महिला और पुरुष आदिवासी बड़ी संख्या में धरने पर बैठे हैं। आदिवासी जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए मडोनार और होड़नार के बीच सड़क पर बैठे हुए हैं। आंदोलनरत आदिवासियों का यह भी कहना है कि उनके जल, जंगल और जमीन को भारी नुकसान हो रहा है।



 



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