एक महिला के पुलिस सरेंडर पर क्यों बिफरा माओवादी संगठन ..वो सावित्री कौन है जिसके समर्पण को ग़द्दारी कह रहे नक्सली..

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Yagyawalkya Mishra
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एक महिला के पुलिस सरेंडर पर क्यों बिफरा माओवादी संगठन ..वो सावित्री कौन है जिसके समर्पण को ग़द्दारी कह रहे नक्सली..

Raipur. माओवादियों के जेहन में एक महिला के सरेंडर ने बाैखलाहट ला दी है। यह बाैखलाहट इस कदर है कि,नक्सली गद्दार कह रहे हैं। नक्सली संगठन इस कदर बौखलाहट में उस महिला के आत्मसमर्पण से हैं जिसका नाम सावित्री है। सावित्री के सरेंडर को लेकर नक्सली यह तक मान रहे हैं कि, इस सरेंडर से नक्सली संगठन की गतिशीलता पर असर पड़ेगा। नक्सलियाें की यह खीज गुस्सा इसके पहले किसी सरेंडर पर नहीं दिखा है,जितना सावित्री के मसले के साथ है। गौरतलब यह भी है कि, नक्सली जिस महिला को लेकर लानत मलामत कर रहे हैं, जिसके तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण का जिक्र कर रहे हैं, उस तेलंगाना पुलिस ने खुद अब तक सावित्री के सरेंडर को लेकर सूचना सार्वजनिक नही की है। नक्सलियाें की यह बौखलाहट तेलंगाना से लेकर बिहार झारखंड तक किसी भी अन्य सरेंडर पर बीते दस बरसाें में तो देखने में नहीं आई।









कौन है सावित्री हड़मे



 सावित्री हड़मे बस्तर पुलिस के रिकॉर्ड में कोंटा एरिया कमेटी सचिव थी।वह क़रीब तीस सालों से माओवादी संगठन में सक्रिय रुप से शामिल थी। लेकिन सावित्री का बस इतना ही परिचय नहीं है।सावित्री रामन्ना की पत्नी थी।रामन्ना का मतलब वह नक्सली चेहरा जिसे तेलंगाना में ज़मींदारों से हिंसक संघर्ष के बाद दंडकारण्य भाग कर पहुँचे उन प्रारंभिक सात लोगों के समूह का हिस्सा माना जाता है। इन सात ने बस्तर में  पीडब्लूजी की स्थापना की थी और उसे व्यापक विस्तार दिया था। रामन्ना सुप्रीम कमांडर की तरह था। उसकी सुरक्षा के लिए पूरी बटालियन तैनात रहती थी।रामन्ना सेंट्रल कमेटी मेंबर था, और दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी का प्रमुख भी। ओहदे में बस्तर में उसके समकक्ष तब कोई नहीं था, रामन्ना रणनीतिक योजनाकार तो था ही, वह क्रूरतम हमले भी नियोजित करता था। हालाँकि हिड़मा जो कि अब भी दंडकारण्य में सक्रिय है और रामन्ना की जगह पर मौजूद है, उसकी क्रूरता के क़िस्सों के आगे रामन्ना भी कमतर था।बहरहाल रामन्ना की मौत 2019 -20 में हुई। जो तस्वीरें आप इस खबर के साथ देख रहे हैं ये तस्वीरें उसी रामन्ना के अंतिम संस्कार के समय की हैं। रामन्ना की जब मौत हुई तो बेहद बड़ी संख्या में लोग जुटे थे, जिनमें ग्रामीण और शीर्षस्थ नक्सली नेता भी शामिल थे।





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रामन्ना की दूसरी पत्नी है सावित्री



  सावित्री रामन्ना की दूसरी पत्नी है, रामन्ना की पहली पत्नी की मौत बस्तर के जंगलों में क़रीब पैंतीस साल पहले हुई थी।रामन्ना ने उसके बाद सावित्री से शादी की।बताते हैं कि यह रामन्ना का ही प्रभाव था कि, सावित्री को रामन्ना से दूर नहीं जाना पड़ा और ना ही उसके कैडर और जगह में व्यापक परिवर्तन हुआ। सावित्री और रामन्ना का एक बेटा है जिसका नाम रंजीत है। रामन्ना के रहते तक रंजीत हार्डकोर नक्सली हो चुका था। ऐसा बताते हैं कि यदि रामन्ना जीवित रहता तो रंजीत को शीर्षस्थ पदों में से कोई एक पद हासिल हो जाता।









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रामन्ना की मौत के बाद बदले हालात



  रामन्ना की मौत के बाद दंडाकारण्य के भीतर बहुत कुछ तेज़ी से हुआ।चेंज ऑफ गार्ड हुआ, माओवादियों ने पुरज़ोर कोशिश की और जतलाई भी कि, उन्होंने हिड़मा के रुप में और भी कुछ अन्य नामों के साथ संगठन को गतिशीलता दे दी है।लेकिन इसी चेंज ऑफ गार्ड के बीच रामन्ना के बेटे रंजीत ने तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। रंजीत के समर्पण के बाद भी सावित्री  नक्सलियों के साथ बनी रही। यह भी एक खबर है कि रामन्ना की मौत के बाद सावित्री और उसके बेटे रंजीत को वह ख़ुदमुख़्तारी नहीं थी जो कि रामन्ना के जीवित रहते हासिल थी। बावजूद इसके कि रंजीत ने समर्पण किया सावित्री नक्सलियों के साथ बनी रही।



 लेकिन नक्सलियों की नज़र में सावित्री की विश्वसनीयता सवालों में थी, पर उसकी वरिष्ठता ऐसी थी कि निचला कैडर कुछ कह नहीं सकता था,और केंद्रीय नेतृत्व संगठन को फिर से बनाने गढ़ने में उलझा रहा।





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अगस्त के आख़िरी हफ़्ते किया सरेंडर ?



  माओवादियों की बौखलाहट उनका गुस्सा भले आज सामने आया हो लेकिन खबरें कहती हैं कि, सावित्री ने अगस्त के आख़िरी हफ़्ते सरेंडर कर दिया था। रंजीत याने सावित्री और रमन्ना के बेटे ने इस सरेंडर को फुलप्रूफ बनाया और तेलंगाना पुलिस के सामने सावित्री ने सरेंडर कर दिया। यहाँ यह याद रखना होगा कि, अब तक जबकि यह खबर लिखी जा रही है, तेलंगाना पुलिस ने सावित्री के सरेंडर की कोई खबर सार्वजनिक नहीं की है।









ख़तरा क्या है



रामन्ना के साथ क़रीब तीस बरसों का अटूट सफ़र सुमित्रा को चाहे अनचाहे ऐसे कई रहस्यों से परिचित करा गया है, जो बेहद संवेदनशील हैं। रामन्ना रणनीतिक प्रमुख था, वह माओवादी संगठन के आधार कार्यकर्ताओं में एक था, और उसने अपने सीधे निर्देशन में PWG को स्थापित करने और फिर उसे मैदान में छापामार युद्ध के लिए तैयार करने में भूमिका निभाई। झारखंड बिहार में सक्रिय MCC और PWG के विलय और विस्तार की योजना में वह पूरी तरह से शामिल था। रामन्ना के इस पूरे दौर में सावित्री उसके साथ रही, इसलिए वो ऐसा बहुत कुछ बल्कि इतना कुछ जानती है कि, माओवादियों को बड़े झटके लग जाएँ।



  यहाँ यह भी याद रखना होगा कि, झटके करारे लग सकते हैं लेकिन इससे माओवादी संगठन समाप्त नहीं होगा। दूसरी बात यह भी है कि, रामन्ना की मौत और बहुतेरे  नुक़सान की वजह से माओवादी संगठन के लिए यह चिंताजनक इस रुप में भी है कि, सावित्री का सरेंडर निचले कैडर को और विचलित करेगा। इसलिए माओवादियाें में बौखलाहट है।





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विज्ञप्ति का आख़िरी पैरा



 माओवादियाें ने इस सरेंडर का जिक्र करते हुए विज्ञप्ति जारी की है। पांच पैराग्राफ और करीब पांच साै शब्दाें की विज्ञप्ति की शुरूआत सावित्री को गद्दार कहने से होती है, और उस विज्ञप्ति का आखिरी पैराग्राफ भी यही शब्द कहता है। पूरी विज्ञप्ति सावित्री को लेकर विश्वासघात गद्दार जैसे शब्दाें से लबरेज है। सावित्री के सरेंडर पर जारी विज्ञप्ति के आख़िरी पैराग्राफ़ में लिखा हुआ है



“सावित्री की ग़द्दारी और विश्वासघात क्रांति को कभी नहीं रोक सकती।ज़्यादा से ज़्यादा वे कुछ तात्कालिक अवरोध और नुक़सान ही पैदा कर सकती है।लेकिन इस तरह के परजीवियों को अपने राह से हटाकर क्रांति अपनी मुक़ाम की ओर और आगे बढ़ेगी”









 टूट रहा है माओवाद,बौखला रहे हैं नक्सली − पी सुंदरराज





   बस्तर में फोर्स के मुखिया रेंज आईजी पी सुंदरराज इस पूरे घटनाक्रम को माओवाद के तिलिस्म का टूटना और झूठ की मीनार के गिरने के रूप में देखते हैं। आईजी पी सुंदरराज ने द सूत्र से कहा





“माओवादियाें की बौखलाहट बता रही है कि, उन्हे करारा झटका लगा है। सावित्री सरेंडर करती ही, चुंकि बेटा तेलंगाना सरेंडर किया तो शायद उसने भी वहीं का रास्ता चुन लिया। वह माओवादियाें के बेहद अहम किरदार की पत्नी थी, करीब तीस बरसाें से भी उपर के समय का साथ था, जाहिर है उसके पास बहुत से इनपुट हैं जो माओवादियाें को झटका देंगे। नक्सली टूट रहे हैं, यह सरेंडर बहुत करारा प्रहार है। और इसी का परिचय उनकी विज्ञप्ति में मिलता है। और इसके साथ नक्सलियाें की भाषा नक्सलियाें की यूज एंड थ्रो पॉलिसी भी साबित करती है, सावित्री अगर सामान्य जीवन जीना चाह रही है तो निम्नस्तर पर उतरना यह यूज एंड थ्रो है।”



बस्तर chhatisgarh कौन है सावित्री जिस के सरेंडर पर भड़क गए माओवादी क्यों ख़ौफ़ खा गए हैं नक्सली रामन्ना आईजी पी सुंदरराज