अजब फैसला: US में कोवैक्सिन और कोवीशील्ड लगवाने वालों को नहीं मान रहे वैक्सीनेटेड

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अजब फैसला: US में कोवैक्सिन और कोवीशील्ड लगवाने वालों को नहीं मान रहे वैक्सीनेटेड

कोरोना महामारी में वैक्सीन को लेकर बहुत से भ्रम लोगों के मन में हैं। कई देश तो कोवैक्सिन लगवाने वालों को वैक्सीनेटेड ही नहीं मान रहें। इतना ही नहीं अमेरिका में तो कोवीशील्ड को भी मान्यता नहीं मिली है। इसके कारण भारतीय वैक्सीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहें हैं। आइए जानते हैं अमेरिका के इस फैसले की सही वजह...

क्यों नहीं मिला कोवैक्सिन को अमेरिका में इमरजेंसी अप्रूवल

अमेरिका का कहना है कि उसके यहां पर्याप्त डोज लग चुके हैं। कुछ हद तक हर्ड इम्यूनिटी भी हासिल हो चुकी है। इस वजह से उसने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है। वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल देने के नियम कड़े कर दिए हैं।यह जानना जरूरी है कि अमेरिका ने पिछले साल वैक्सीन के डेवलपमेंट के लिए ऑपरेशन वार्प स्पीड इनिशिएटिव के तहत 18 बिलियन डॉलर (1.30 लाख करोड़ रुपए) खर्च किए थे।फाइजर और मॉडर्ना की mRNA वैक्सीन को इमरजेंसी यूज अप्रूवल दिया है। जॉनसन एंड जॉनसन की वायरल वेक्टर वैक्सीन भी वहां लग रही है। इन वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया में US FDA भी शामिल रहा है, जैसे कोवैक्सिन के डेवलपमेंट में भारत सरकार की संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने सक्रिय भूमिका निभाई है।

क्या कोवैक्सिन सुरक्षित नहीं हैं?

बिल्कुल नहीं। US FDA ने भारत बायोटेक के अमेरिकी पार्टनर ऑक्युजेन को फुल अप्रूवल का आवेदन देने को कहा है। इसके लिए उसे अतिरिक्त जानकारी और डेटा की जरूरत होगी। क्लिनिकल ट्रायल्स भी करना पड़ सकता है, ताकि वैक्सीन के सेफ, इम्यून रेस्पॉन्स और स्वीकार्य इफेक्टिवनेस को वैरिफाई किया जा सके।इसका मतलब सिर्फ इतना है कि अमेरिकी वैक्सीन मार्केट में कोवैक्सिन की एंट्री में वक्त लगेगा। इमरजेंसी अप्रूवल कुछ महीनों के डेटा पर मिल जाता है। पर फुल अप्रूवल में कुछ महीने या साल भी लग सकते हैं, क्योंकि उसे अर्जेंट नहीं समझा जाता। यानी भारत बायोटेक और ऑक्युजेन को अमेरिकी बाजार में कोवैक्सिन उपलब्ध कराने में वक्त लग सकता है।

क्या अमेरिका के फैसले का भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर कोई असर पड़ेगा?

नहीं। डॉ. पॉल का कहना है कि सभी रेगुलेटर के फैसले लेने की प्रक्रिया होती है। हम अमेरिकी रेगुलेटर के फैसले का सम्मान करते हैं। पर उसके फैसले का हमारे टीकाकरण अभियान पर कोई असर नहीं होगा। हमारे रेगुलेटर के पास इसके सेफ होने के संबंध में पर्याप्त डेटा है।

क्या अमेरिका में कोवैक्सिन को फुल अप्रूवल मिल सकता है?

मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं। अब तक किसी भी भारतीय वैक्सीन निर्माता को अमेरिका में फुल अप्रूवल नहीं मिला है। इसी वजह से भारत बायोटेक ने अमेरिकी कंपनी ऑक्युजेन के साथ डील की है। अमेरिका के साथ-साथ कनाडा में कोवैक्सिन पर होने वाला 45% प्रॉफिट ऑक्युजेन का होगा।ऑक्युजेन का कहना है कि वह अब अमेरिका में कोवैक्सिन के लिए अब इमरजेंसी अप्रूवल नहीं मांगेगी। बल्कि बायोलॉजिक्स लाइसेंस एप्लीकेशन (BLA) हासिल करेगी। जरूरत पड़ी तो अमेरिका में ट्रायल्स भी करेंगे। पर यह छोटे ग्रुप पर ब्रिजिंग ट्रायल्स होंगे या बड़े ग्रुप पर स्टडी होगी, यह साफ नहीं है।ऑक्युजेन के चेयरमैन और CEO शंकर मुसुनुरी ने कहा कि कोवैक्सिन डेल्टा वैरिएंट समेत अन्य स्ट्रेन पर कारगर है। ऐसे में आगे चलकर अमेरिका को कोवैक्सिन जैसी मजबूत वैक्सीन की जरूरत पड़ने वाली है।

अमेरिका के फैसले का विदेश यात्रा पर जाने वालों पर क्या असर होगा?

कुछ खास नहीं। अगर आप अमेरिका या कहीं जा रहे हैं तो आपको वहां के नियम पढ़ने होंगे। अमेरिकी पॉलिसी कहती है कि अगर आपकी RT-PCR रिपोर्ट निगेटिव है तो आप फ्लाइट पकड़ सकते हैं। आपने कोवैक्सिन लगवाई है तो भी आपको वैक्सीनेट नहीं माना जाएगा। आपको वहां उपलब्ध वैक्सीन भी लगवानी होगी। इसका कोई नुकसान नहीं है।अभी अमेरिका में कोवैक्सिन के फुल अप्रूवल का रास्ता बंद नहीं हुआ है। वहीं, भारत बायोटेक के आवेदन पर WHO जुलाई और सितंबर के बीच इमरजेंसी यूज अप्रूवल जारी कर सकता है। उम्मीद कर सकते हैं WHO के अप्रूवल के बाद अमेरिका समेत अन्य देशों में कोवैक्सिन लगवाने वालों को भी वैक्सीनेटेड लोगों में गिना जाएगा।

कोवैक्सिन को लेकर अन्य देशों में क्या स्थिति है?

अब तक 14 देश कोवैक्सिन को अप्रूवल दे चुके हैं। 50 अन्य देशों और WHO के पास इमरजेंसी यूज अप्रूवल का आवेदन पेंडिंग है। इन पर भी एक-दो महीने में फैसला होने की उम्मीद कर सकते हैं।ब्राजील में जरूर हेल्थ रेगुलेटर ANVISA ने कोवैक्सिन का आवेदन ठुकरा दिया था। मार्च में हुए इंस्पेक्शन में ब्राजील के अधिकारियों को भारत बायोटेक की हैदराबाद की फेसिलिटी में क्वालिटी को लेकर कुछ खामी नजर आई थी। पर इन मुद्दों को सुलझा लिया गया है। ANVISA ने 4 जून को कोवैक्सिन को सीमित मात्रा में इम्पोर्ट करने की इजाजत दे दी है। ANVISA का कहना है कि भारत बायोटेक के एक्शन प्लान से वे संतुष्ट हैं। कंपनी ने क्वालिटी से जुड़े मुद्दों पर आवश्यक सुधार किया है।

तो हमारी वैक्सीन खराब है!