फाइजर वैक्सीन: भारत में आ रही अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीनअमेरिकी कंपनी फाइजर ने जर्मनी की फर्म बायोएनटेक के साथ साझेदारी कर 90 फीसदी एफिकेसी की वैक्सीन बनायी है। फाइजर की यह वैक्सीन भारत में भी आने वाली है। वैक्सीन मंजूरी के आखरी चरण पर हैं। सिर्फ जवाबदेही को लेकर कुछ अड़चनें हैं। दरअसल, कंपनी वैक्सीन के दुष्प्रभाव होने पर जवाबदेही से बचना चाहती है।
मॉडर्ना से भी बातचीत जारी
भारत सरकार फाइजर की वैक्सीन के लिए एक महीने पहले राजी हो गई थी। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसे लेकर अमेरिका में फाइजर के कुछ अफसरों से मुलाकात भी की थी, लेकिन अब इस डील में देरी होती दिख रही है। एक और अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना से भी इसी मसले पर बातचीत चल रही है।नीति आयोग के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल ने मंगलवार को बताया कि अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि भारत में फाइजर और मॉडर्ना के टीकों को मंजूरी देने पर विचार किया जा रहा है।
सितंबर तक सप्लाई संभव
फाइजर के अफसरों के मुताबिक कंपनी जुलाई में ही टीके देने को तैयार थी, लेकिन भारत सरकार ने बात तय होने के बाद भी अब तक कोई लिखित प्रपोजल नहीं दिया है। इसलिए अब अगस्त के आखिर या सितंबर में ही भारत को टीके की सप्लाई संभव हो सकेगी। वो भी तब, अगर भारत सरकार तत्काल कुछ फैसला लेती है। मई में फाइजर के अधिकारियों ने बताया था कि कंपनी जुलाई से अक्टूबर के बीच 5-7 करोड़ वैक्सीन डोज भारत भेजेगी।
भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर
सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-वी को भी भारत में इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे पानी में घोलकर दिया जाता है।