चंद्रयान का लॉन्चपैड बनाने वाले HEC के कर्मचारियों को 18 माह से नहीं मिला वेतन, कर रहे आंदोलन, नाश्ता बेचकर कर रहे गुजारा

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Chandresh Sharma
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चंद्रयान का लॉन्चपैड बनाने वाले HEC के कर्मचारियों को 18 माह से नहीं मिला वेतन, कर रहे आंदोलन, नाश्ता बेचकर कर रहे गुजारा

RANCHI. आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि जिस चंद्रयान की सफलता से पूरा देश गौरवान्वित हुआ, उस चंद्रयान के लॉन्चपैड के साथ-साथ फोल्डिंग प्लेटफार्म और डब्ल्यूबीएस समेत स्लाइडिंग डोर बनाने वाले केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचईसी) के 2800 कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हैं। बीते 18 माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है। नतीजतन आंदोलन कर रहे है कर्मचारी डोसा, इडली और मोमोस बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं। कई कर्मचारी क्रेडिट कार्ड से घर का खर्च चला रहे थे, जो कर्ज ली गई रकम न चुका पाने के चलते बैंक डिफॉल्टर भी हो चुके हैं।

बीबीसी के हवाले से मिली खबर के मुताबिक रांची के धुर्वा स्थित एचईसी के 2800 कर्मचारियों को 18 माह से वेतन नहीं मिला है। यहां कार्यरत कर्मचारी जगह-जगह ठेले पर नाश्ता बेचने मजबूर हैं। एचईसी के टेक्नीशियन दीपक कुमार उपरारिया की बात करें तो वे विधानसभा के सामने इडली का ठेला लगाते हैं। सिर पर 4 लाख रुपए का बोझ चढ़ा हुआ है। वेतन न मिलने के कारण उन्होंने क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ रिश्तेदारों से भी रकम उधार ली हुई है। दीपक मूलतः मध्यप्रदेश के हरदा के निवासी हैं। उन्होंने साल 2012 में एचईसी में बतौर टेक्नीशियन ज्वाइनिंग ली थी।

कोई बेच रहा मोमोज तो कोई बेच रहा चाय

एचईसी के ऐसे अनेक कर्मचारी हैं जो इस तरह अपनी आजीविका चलाने मजबूर हैं, जानकारी के मुताबिक मधुर कुमार नाम के कर्मचारी ने मोमोज की दुकान खोली है, प्रसन्ना भोई चाय बेचकर गुजारा कर रहे हैं। मिथलेश कुमार नाम के कर्मचारी ने फोटोग्राफी शुरु कर दी है। सुभाष कुमार नाम के कर्मचारी कार लोन के चक्कर में डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं।

इंडिया गठबंधन ने दिया कर्मचारियों का साथ

14 सितंबर को ही विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के नेताओं ने एचईसी के कर्मचारियों के समर्थन में धरना दिया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी इसमें शामिल रहे। उनका कहना था कि एचईसी पंडित जवाहरलाल नेहरू की देन है। इसे बचाने की जिम्मेदारी हमारी है। मजदूरों का पसीना सूखने से पहले मेहनताना मिल जाए, इसके लिए हम लड़ाई लड़ रहे हैं।

इस वजह से नहीं मिल रहा वेतन

दरअसल इस संबंध में राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवानी मानूसन सत्र में ही भारी उद्योग मंत्रालय से प्रश्न पूछ चुके हैं। जिसके जवाब में सरकार ने बताया कि एचईसी कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड एक अलग और स्वतंत्र इकाई है। उसे अपने कर्मचारियों को वेतन देने स्वयं के संसाधन बनाने होते हैं। लगातार घाटे और देनदारी बढ़ने से वह उसकी देनदारियां 2 हजार करोड़ रुपए पहुंच चुकी है। संस्थान को कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए तत्काल 153 करोड़ रुपयों की दरकार है। बिजली का बिल 125 करोड़ रुपए बकाया है।




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