NEW DELHI. संसद में विशेष सत्र के आगाज पर प्रधानमंत्री मोदी ने 50 मिनट की स्पीच दी, प्रधानमंत्री का यह भाषण पुराने संसद का आखिरी भाषण होगा। 19 सितंबर से संसद की कार्रवाई नए संसद भवन में होनी है। अपने उदबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कई पुरानी यादों को ताजा कर दिया। उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भी याद किया। साथ ही संसद के पहले लोकसभा अध्यक्ष से लेकर अनेक अध्यक्षों का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा कि यह वही सदन है जहां पंडित नेहरू का स्टोक्स ऑफ मिडनाइट गूंजा और हमें प्रेरित किया। यही सदन इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का भी साक्षी बना। उन्होंने राजीव गांधी को भी अपने भाषण में स्थान दिया।
संसद से विदाई को बताया भावुक पल
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस ऐतिहासिक भवन से विदाई लेना एक बेहद ही भावुक लम्हा है। परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर में शिफ्ट होता है तो उसे अनेक यादें कुछ पल के लिए झकझोर देती हैं। आज हम इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी ऐसी अनेक यादों और भावनाओं से भरा हुआ है।
अपने पहले दिन को भी किया याद
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब मैं पहली बार संसद आया था तो एक सांसद के रूप में इस भवन में मैने प्रवेश किया तो इसकी चौखट पर अपना शीश झुका दिया था। मैंने इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धा के साथ नमन करते हुए प्रवेश किया था। पीएम ने कहा कि मैं कल्पना भी नहीं कर सकता लेकिन हमारे देश के लोकतंत्र की यह ताकत है कि रेलवे के प्लेटफार्म पर गुजारा करने वाला एक बच्चा पार्लियामेंट पहुंचता है। मैंने यह सोचा भी नहीं था कि देश मुझे इतना सम्मान देगा।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन के रूप में पहचान मिली थी। यह इमारत भले ही विदेशी शासकों ने बनवाई हो लेकिन हमें गर्व है कि इसके निर्माण में पसीना, परिश्रम और पैसा मेरे देशवासियों का ही लगा था। पीएम मोदी ने कहा कि देश 75 सालों की संसदीय यात्रा का एक बार फिर से संस्मरण कराने और नए सदन में जाने के लिए उन प्रेरक पलों को, इतिहास की अहम घड़ी को याद करते हुए यह आगे बढ़ने का मौका है। हम सब, इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं।