DELHI:14 साल के बेटे को खोया,सिविल सर्विस में चुने गए,पहली बार MP बनते ही मंत्री बने;गवर्नर रहते इन 8 बातों के चलते विवाद हुआ

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Atul Tiwari
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DELHI:14 साल के बेटे को खोया,सिविल सर्विस में चुने गए,पहली बार MP बनते ही मंत्री बने;गवर्नर रहते इन 8 बातों के चलते विवाद हुआ

NEW DELHI. एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ 6 अगस्त को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए। धनखड़ को 528 वोट मिले। वहीं, विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को महज 182 वोट मिले। कुल 710 वैध वोटों में जीत के लिए 356 वोट की मिलने जरूरी थे। कुल 725 सांसदों ने वोट डाले थे। 





इकलौते बेटे की मौत ने झकझोरा





1979 में जगदीप धनखड़ की शादी सुदेश के साथ हुई। दोनों के दो बच्चे हुए। बेटे का नाम दीपक और बेटी का नाम कामना रखा, लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही। 1994 में जब दीपक 14 साल का था, तब उसे ब्रेन हेमरेज हो गया। इलाज के लिए दिल्ली भी लाए, लेकिन बेटा बच नहीं पाया। बेटे की मौत ने जगदीप को पूरी तरह से तोड़ दिया। महज 14 साल के बेटे के खोने का गम आज भी धनखड़ भूल नहीं पाए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो धनखड़ बेटे को याद करके आज भी रोने लगते हैं। 





सैनिक स्कूल में पढ़े, लॉ भी किया





जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना में हुआ था। पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है। जगदीप अपने चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं। शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई। गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ। इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की। 





12वीं के बाद उन्होंने फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की। 12वीं के बाद धनखड़ का चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए। न्होंने देश का सबसे बड़ा एग्जाम सिविल सर्विसेज भी पास किया। हालांकि, आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत चुनी। वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे थे। 





जनता दल से चुनाव लड़े, पहली बार सांसद बनते ही मंत्री बन गए





धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी। धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बने थे। पहली बार सांसद चुने जाने पर ही उन्हें बड़ा इनाम मिला। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि, जब 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ़ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था।





पश्चिम बंगाल में राज्यपाल रहने के दौरान उनका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कई बातों को लेकर मतभेद हुआ। आइए जानते हैं....





1. कुलपतियों की नियुक्ति पर विवाद





30 दिसंबर 2021, ममता बनाम धनखड़: बंगाल में राज्यपाल को विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में बदलने की बात पर विवाद हो गया। धनखड़ ने आरोप लगाया कि कोलकाता और जादवपुर समेत राज्य की 24 यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया है। उन्होंने ट्वीट कर उन यूनिवर्सिटी की लिस्ट दी। उस सूची में कोलकाता, जादवपुर, गौरबंगा, अलीपुरद्वार, बर्दवान जैसे विश्वविद्यालय शामिल थे।





2. ममता ने ट्विटर पर धनखड़ को किया ब्लॉक





31 जनवरी 2022 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ब्लॉक कर दिया। इसके एक दिन बाद उन्होंने कहा कि राज्य लोकतंत्र के लिए एक गैस चैंबर बन गया है। इस पर ममता ने कहा कि मैं इसके लिए पहले से माफी मांगती हूं। वो (जगदीप धनखड़) मुझे या मेरे अधिकारियों को गाली देने के लिए हर दिन कुछ ना कुछ ट्वीट करते हैं। असंवैधानिक, अनैतिक बातें कहते हैं। वो सलाह नहीं देते। एक चुनी हुई सरकार को बंधुआ मजदूर की तरह मानते हैं। इसलिए मैंने उन्हें अपने ट्विटर अकाउंट पर ब्लॉक कर दिया।





3. सवालों के जबाव देने से इनकार





17 फरवरी 2022 को धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से विभिन्न मुद्दों पर उनके द्वारा मांगी गई जानकारी जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का आग्रह किया। बाद में धनखड़ ने दावा किया कि उनके सवालों का जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने 15 फरवरी को बनर्जी से आग्रह किया था कि वे हफ्ते में राजभवन में उनसे मिलने आएं और संवैधानिक गतिरोध को टालने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा करें। 





4. हिंसा और अराजकता की चपेट वाला बयान





22 मार्च 2022 को बीरभूम में 8 लोगों को जिंदा जलाने के बाद मौतों को 'भयावह' बताते हुए धनखड़ ने दावा किया कि राज्य "हिंसा और अराजकता" चपेट में है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धनखड़ से अनुचित बयान देने से परहेज करने का अनुरोध किया और आरोप लगाया कि उनकी टिप्पणियों में राज्य सरकार को धमकाने के लिए अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन करने वाले “राजनीतिक रंग” हैं। धनखड़ को लिखे पत्र में ममता ने कहा कि उनकी टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इस तरह के प्रतिष्ठित संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अशोभनीय है।





5. बीजेपी के खिलाफ जिहाद का दिन वाले बयान पर विवाद





30 जून 2022 को धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपनी कथित टिप्पणी को वापस लेने के लिए कहा, जिसमें कहा गया था कि तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को “बीजेपी के खिलाफ जिहाद का दिन” मनाएगी। बनर्जी को लिखे पत्र में धनखड़ ने दावा किया कि इस तरह के "सत्तावादी और अलोकतांत्रिक" बयान लोकतंत्र और कानून के शासन की "मौत की घंटी" लाएंगे।





6. कुलपति का नाम बदलने पर विवाद





1 जुलाई 2022 को धनखड़ ने राज्य द्वारा संचालित रवींद्र भारती विश्वविद्यालय (आरबीयू) के नए कुलपति का नाम बदलकर ममता बनर्जी सरकार के साथ एक नए टकराव की शुरुआत की। ट्वीट करते हुए धनखड़ ने घोषणा की कि उन्होंने आरबीयू के डांस डिपार्टमेंट में प्रोफेसर महुआ मुखर्जी को अगला वीसी नियुक्त किया है।





7. कुलाधिपति बनाने वाला बिल पास





3 जुलाई 2022 को धनखड़ ने "अनुपालन की अपूर्णता" के आधार पर सीएम ममता बनर्जी को यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति बनाने वाला बिल वापस कर दिया। विधेयक 14 जून को राज्य विधानसभा में पारित किया गया था। राजभवन की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि विधानसभा बहस की "पूर्ण आधिकारिक रिपोर्ट" जैसे ही होगी, भेज दी जाएगी।  





8. सत्ता का दुरुपयोग का आरोप





धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच विवाद गहरे होते गए। ममता ने बीजेपी शासित राज्यों के राज्यपालों द्वारा "सत्ता का दुरुपयोग" का आरोप लगाया। बता दें कि जुलाई 2019 में राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से धनखड़ ने नियमित रूप से विभिन्न मुद्दों पर ममता सरकार को आड़े हाथ लिया है।



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