BHOPAL. चुनावी साल के साथ ही आंदोलन का भी मौसम आ गया है। विभिन्न संगठन अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं तो कुछ आंदोलन की राह पर निकल चुके हैं। कारण है...चुनावी साल होने से सत्ता हो या विपक्ष संगठनों के प्रदर्शन को काफी सीरियस लिया जाता है, क्योंकि इसका सीधा असर चुनाव पर पड़ता है। ऐसे ही चुनावी मौसम में शिक्षक संघ आंदोलन की राह पर निकल चुका है। राजधानी भोपाल में करीब 7 साल बाद शिक्षकों के बड़े आंदोलन की मुख्य मांग पुरानी पेंशन की बहाली है। मंगलवार से विधानसभा सत्र शुरू हो गया है, ऐसे में पुलिस ने भोपाल से लगी सीमाओं पर ही शिक्षकों को रोक दिया है। शिक्षकों के इस आंदोलन का असर सीधे सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ेगा। नियमित कक्षाएं तो प्रभावित होगी ही, लेकिन इसके अलावा इस बार स्कूलों में जल्द ही तिमाही परीक्षा होने वाली है, जिसे लेकर काफी तैयारियां भी की गई थी। तिमाही परीक्षा से ठीक पहले आंदोलन के लिए समय चुनने पर शिक्षक संगठन पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले शिक्षक हो सकते हैं निलंबित
आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के बैनर तले हजारों शिक्षक आंदोलन की राह पर है, पर विभाग के रेडार पर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले शिक्षक है। इन पर निलंबन की गाज गिर सकती है। दरअसल कुछ दिन पहले नवनियुक्त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम भोपाल में हुआ था। शिक्षक संघ के नेता जगदीश यादव भी भोपाल आए थे। उन पर शिक्षकों को भड़काने और बिना अनुमति मुख्यालय छोड़ने के आरोपों के तहत निलंबित कर दिया था। कुछ इसी तरह का कड़ा एक्शन इस आंदोलन को लेकर भी देखने को मिल सकता है, हालांकि अधिकारी अभी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि ऐसा करने पर तिमाही परीक्षा या आंदोलन पर इसका क्या असर पड़ेगा।
संगठन के अध्यक्ष नजरबंद, कई के मोबाइल बंद
आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के आह्वाहन पर मंगलवार को सीएम हाउस का घेराव होना था, जिसमें प्रदेशभर से 25 हजार से अधिक शिक्षकों के आने का दावा किया जा रहा था, लेकिन पुलिस ने भोपाल से लगी सीमाओं पर ही शिक्षकों को रोक दिया। आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भरत पटेल को नजरबंद कर दिया गया। वहीं शिल्पी सीवान जैसे अन्य पदाधिकारियों के मोबाइल नंबर भी लगातार बंद आ रहे हैं।
फंदा टोल पर रोका तो शिक्षकों ने निकाली तिरंगा यात्रा
सीहोर-भोपाल रोड पर फंदा टोल नाके पर भोपाल आ रही अध्यापकों गाड़ियों को रोक दिया गया। पुलिस के रोकने पर शिक्षकों ने टोल पर ही हाथों में तिरंगा लेकर रैली निकाली, साथ ही जमकर नारेबाजी भी की। इसके बाद शिक्षकों और पुलिस के बीच बहस हुई, लेकिन पुलिस ने शिक्षकों को आगे नहीं जाने दिया। शिक्षकों ने कहा कि हमें रोकने से कुछ नहीं होगा, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
विभाग के अधिकारी तक तैनात किए, ताकि शिक्षक भोपाल न जा सके
प्रदर्शन के लिए भोपाल के अलावा महाकौशल, बुंदेलखंड, मालवा, निमाड़, ग्वालियर और बघेलखंड से शिक्षकों के भोपाल पहुंचे। प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस के साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भोपाल की सीमा पर तैनात किया गया है, ताकि कोई भी शिक्षक किसी तरह से शहर के अंदर न सके।
ये हैं प्रमुख मांगे...
- सामान्य प्रशासन, वित्त, जनजातीय कार्य और स्कूल शिक्षा विभाग के बीच तालमेल नहीं होने से पिछले 4 साल से क्रमोन्नति यानी समयमान वेतनमान नहीं मिल पा रहा है।
कमलनाथ ने कहा-दमन का रास्ता अपना रही सरकार
शिक्षकों के आंदोलन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने ट्वीट किया है। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार में आज हर वर्ग दुखी और परेशान है। प्रदेश के हजारों शिक्षक अपनी जायज मांग को लेकर हड़ताल पर हैं, उनकी मांगों को सुनने की बजाए सरकार दमन का रास्ता अपना रही है।