REWA. जबलपुर के एक निजी अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद से शिवराज सरकार निजी नर्सिंग होम, अस्पताल और हेल्थ सेंटरों की फायर सेफ्टी ऑडिट करा रही है। इस आदेश के बाद जिला प्रशासन, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा नगर निगम या निकाय फायर सेफ्टी के लिए बैठक और निजी अस्पतालों की जांच-पड़ताल में जुट गए हैं। द सूत्र ने विंध्य के दो जिलों रीवा और सतना में फायर सेफ्टी को लेकर मची हलचल के बारे में जानने की कोशिश की। इस प्रयास में यह निकल कर आया कि यहां की करीब 30 फीसदी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और हेल्थ सेंटर्स फायर सेफ्टी के मामले में खरे नहीं हैं।
रीवा: विंध्य का मेडिकल हब बनने को ओर कदम बढ़ा चुका है। जबलपुर के अग्निकांड के बाद रीवा शहर में दो दिन जिला प्रशासन, जिला स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की साझा टीम ने अस्पतालों की जांच पड़ताल की। इसमें 27 की जांच की गई जिसमें से 14 में खामियां मिली। बड़ी खामी यही थी कि इन अस्पतालों के पास फायर सेफ्टी की एनओसी नहीं थी। संभाग के चार जिलों में इकलौता रीवा है जहां लगातार सेफ्टी को लेकर कुछ कुछ चल रहा है।
सतना: स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश के बाद सतना में स्वास्थ्य अमले ने सभी जिम्मेदारों के साथ बैठक की। इस बैठक में निजी अस्पताल के संचालकों को बुलाया गया। बैठक में चर्चा कर हॉस्पिटल संचालकों को मोहलत दे दी गई। जबकि शहर के मात्र दो हॉस्पिटल के पास के पास फायर की एनओसी और सेफ्टी ऑडिट है। जिसमें बिरला और सार्थक हॉस्पिटल के नाम बताए जा रहे हैं शेष के पास एनओसी तक नहीं है। सतना शहर में 47 अस्पताल हैं जिसमें से 45 में कोई न कोई कमी है। फायर सेफ्टी की एनओसी किसी के पास नहीं है।
सिंगरौली : केवल निर्देश जारी किए गए
शहडोल : यहां भी निर्देशों पर भरोसा
पन्ना : केवल जुबानी जमा खर्च
दो स्तर पर फायर सेफ्टी
1. पांच दस्तावेज चाहिए
. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की एनओसी
. किस लिए एनओसी लेना है स्पष्ट वजह
. भवन का पास हुआ नक्शा
. भूमि की स्पष्ट रजिस्ट्री
. फायर सेफ्टी प्लान
2. ऑडिट
. 25 बिंदुओं की चेक लिस्ट
(संभागीय फायर अधिकारी आरपी परमार के बताए अनुसार)
इस तरह की खामियां
. मेनगेट की चौड़ाई अपेक्षाकृत कम
. आपात निकासी की व्यवस्था अनुकूल नहीं
. निर्धारित मॉक ड्रिल पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं
. फ़र्राश की भरोसे कई आपात व्यवस्था
. अन्य कई छोटी छोटी समस्याएं पाई गईं