श्याम मोहन दंडोतिया ,MORENA. नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व चीफ जस्टिस खिलजी रेग्मी ने साफ़ तौर पर कहाकि भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक परिस्थितियां चाहे जैसी हों और राजनीतिक रिश्ते भी कैसे रहे लेकिन एक बात साफ़ है कि दोनों देशों के लोगों के भावनात्मक रिश्ते सदैव प्रगाढ़ रहे हैं। उन्होंने कहाकि दोनों देशों के बीच रोटी और बेटी का सम्बन्ध रहा है और आज भी है। हालांकि उन्होंने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र के दर्जे से हटाकर धर्मनिरपेक्ष राष्ट का दर्जा देने पर कोई ख़ास टिप्पणी नहीं की। यह बात उन्होंने मुरैना जिले के अपने प्रवास के दौरान मीडिया से कही।
रोटी - बेटी के रिश्ते के लिए ग्वालियर का उदाहरण दिया
खिलजी रेग्मी ने कहा कि दोनों शुरू से ही प्रगाढ़ भावनात्मक रिश्ते रहे हैं और हमारे बीच रोटी और बेटी के रिश्ते का प्रमाण तो ग्वालियर में ही मौजूद है। नेपाल से जुड़े परिवार की एक बेटी ग्वालियर के सिंधिया राज घराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया रहीं। स्व माधव राव सिंधिया की पत्नी और वर्तमान राजमाता भी नेपाल से है जबकि ग्वालियर राज घराने की बेटी उषा राजे नेपाल में ही ब्याहीं हैं।
संविधान संशोधन पर दिया कूटनीतिक जवाब
जब उनसे पूछा गया कि नेपाल शताब्दियों से हिन्दू राष्ट्र था लेकिन अब उसे धर्मनिरपेक्ष बना दिया गया ,इसकी क्या वजह क्या रही ? इस सवाल पर उन्होंने बड़ा ही कूटनीतिक जबाव दिया। उन्होंने कहा कि यह सब तो संविधान बनाने वाले ही जाने कि उन्होंने हिन्दू राष्ट्र को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र क्यों घोषित किया। जो हुआ उस पर हमें कुछ नहीं कहना।वर्तमान समय जैसा है उसी सापेक्ष में जीना चाहिए, इसलिए नेपाल अब जो है उसी पर आगे बढ़ना है।
विप्र महाकुंभ में शामिल हुए
खिलजी रेग्मी रविवार को ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित विप्र महाकुंभ में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उनके साथ पशुपति नाथ मंदिर के ट्रस्टी व अंतरराष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के संरक्षक स्वामी अर्जुन प्रसाद बास्तोला भी नेपाल से मुरैना आए थे।
सरकारों के साथ सोच बदलती है
भारत और नेपाल के संबंध पहले जैसे नहीं होने के सवाल पर पूर्व प्रधानमंत्री रेग्मी ने कहा, कि पहले और अब की स्थितियों में अंतर है। पहले जो हालात थे वह अब नहीं हैंं। पहले की सरकारों की जो सोच थी, वह अब नहीं है। पत्रकारों ने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री से पूछा कि नेपाल ने भारत से दूरी बनाकर चीन से नजदीकी बढ़ाई हैं, क्या इसी कारण दोनों देशों में दूरियां बढ़ीं। इस पर उन्होंने कहा कि, भारत से संबंध अलग हैं, चीन से संबंध अलग हैं। हर देश के दूसरे देश से संबंध अलग-अलग होते हैं, वैसे ही नेपाल के चीन व भारत से हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत की जनता में संबंध पहले जैसे ही हैं। भारत के लोग नेपाल घूमने, पशुपति नाथ मंदिर दर्शनों के लिए पूर्व की तरह श्रद्धा से ही जाते हैं, उस रिश्तों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
नेपाल में अलग राष्ट्र की मांग को सोनिया गांधी ने खत्म कराया
पशुपति नाथ मंदिर के ट्रस्टी अर्जुन प्रसाद बास्तोला ने कहा, भारत-नेपाल में राजनीतिक और प्रशासनिक तौर पर कुछ गलत धारणाएं हों, लेकिन जनमानस में रोटी-बेटी का संबंध है। सिंधिया परिवार की बेटी नेपाल में ब्याही है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया नेपाल से थी। भगवान राम अयोध्या से थे तो माता सीता नेपाल से थीं। उन्होंने बताया कि लगभग दो दशक पहले बिहार मूल के लोगों ने नेपाल में अलग राष्ट्र बनाने की मांग की थी, नेपाल की उस अस्थिरता को यूपीए सरकार में सोनिया गांधी ने खत्म करवाया था। उन्होंने कहा, कि पूरे विश्व में 38 करोड़ 78 लाख ब्राह्मण हैं। भारत में ब्राह्मण समाज के करीब 800 संगठन हैं, जिनमें से 40 संगठनों से वह खुद ही जुड़े हैं।
बोले - ब्राह्मण वैमनस्यता छोड़ें
नेपाल के पूर्व पीएम ने विप्र महाकुंभ को संबोधित करते कहा कि मानव जाति में श्रेष्ठ माने जाने वाले ब्राह्मण आज अपने सम्मान से वंचित है क्योंकि हम खुद ही आधुनिकता की चकाचौंध में नियम-समय त्यागते जा रहे हैं। समय आ गया है कि ब्राह्मणों को आपसी वैमनस्यता भूलकर अपने उत्थान के लिए एकजुट होना चाहिए। तभी हिंदू धर्म की पताका भारत से नेपाल तक ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में फहराएगी। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म को बचाने और उसकी धर्मध्वजा संपूर्ण विश्व में ऊपर रखने की सबसे अहम जिम्मेदारी ब्राह्मणों की है। हमें अपने साथ-साथ अन्य समाज को भी जोड़कर रखना है, तभी हम सर्वश्रेष्ठ कहलाने के हकदार हैं।
बस्तोला ने कहा
पशुपति नाथ मंदिर के ट्रस्टी बस्तोला ने कहा, कि राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए ब्राह्मणों में भेद पैदा कर रही हैं। सभी ब्राह्मण एक है। पुरातन काल में भी ब्राह्मण अपने बुद्धि व विवेक से सर्व समाज को एकजुट करके चलते थे।
विप्र महाकुंभ में ये भी हुए शामिल
विप्र महाकुंभ में मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी, पूर्व विधायक बलवीर डंडौतिया, हेमंत कटारे, मप्र ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिर्राज डंडौतिया, ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेशचंद्र कौशिक, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेशाध्यक्ष उमा राजौरिया, जगद्गुरु सतपाल महाराज सहित कई साधु-संत भी मंचासीन थे।