मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सिविल जजों की नियुक्ति के नियमों में बदलाव कर दिया है। अब मेडिकल छात्रों की तर्ज पर सिविल जजों से भी बांड भरवाया जाएगा। नियुक्ति के बाद 3 साल के पहले अगर सिविल जज ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो बॉन्ड की राशि का भी उसे ही भुगतान करना होगा।
3 साल से पहले इस्तीफा तो जब्त होगी राशि
मध्यप्रदेश में नियम में संशोधन किए गए मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती एवं सेवा की शर्तों) नियम 1994 में बदलाव के तहत अब सिविल जज परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवारों को नियुक्ति के समय 5 लाख रुपए का बांड भरवाया जाएगा। इसके साथ ही सिविल जज ने नियुक्ति मिलने के 3 साल के भीतर इस्तीफा दिया तो बांड की राशि जब्त कर ली जाएगी।
सिविल जज की ट्रेनिंग में आता है खर्चा
मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार वीपी शुक्ला ने बताया कि परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शासन, ज्वाइनिंग से पहले सिविल जजों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराता है। इसमें काफी राशि खर्च होती है। सिविल जज के इस्तीफा देने से एक पद रिक्त होता है, जिससे केसों की सुनवाई पर असर पड़ता है। बल्कि शासन को आर्थिक क्षति भी पहुंचती है।
बता दे कि प्रदेश में सिविल जज परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन 29 दिसंबर से शुरू होंगे। वही आवेदन करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी 2022 निर्धारित की गई। इसके लिए कुल 123 पदों पर भर्ती की जाएगी।
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