मप्र सरकार के मंत्री सिलावट के भाई 3 साल तक 2 पोस्ट संभालते रहे, अब उच्च शिक्षा विभाग ने एक पद पर रहने का ऑर्डर निकाला

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The Sootr CG
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मप्र सरकार के मंत्री सिलावट के भाई 3 साल तक 2 पोस्ट संभालते रहे, अब उच्च शिक्षा विभाग ने एक पद पर रहने का ऑर्डर निकाला

संजय गुप्ता, INDORE. आखिरकार सरकार को 3 साल बाद यह बात पता चली है कि यदि कोई व्यक्ति एक साथ दो पद संभाले तो इससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और काम का संचालन भी सुचारू रूप से नहीं होता। जी हां, यह खुद सरकार ने एक ऑर्डर में लिखा है। यह किसी सामान्य अधिकारी-कर्मचारी का ट्रांसफर ऑर्डर नहीं, बल्कि मंत्री तुलसी सिलावट के भाई डॉ. सुरेश सिलावट के लिए है। उच्च शिक्षा विभाग ने 5 अक्टूबर को आदेश जारी किया। इसमें क्षेत्रीय संचालक, उच्च शिक्षा (इंदौर संभाग) के साथ ही होलकर साइंस कॉलेज प्राचार्य पद को भी संभाल रहे सिलावट को प्रिंसिपल पद से हटा दिया। उनकी जगह कॉलेज के प्रोफेसर विवेक रैच को प्राचार्य बनाया गया है।



तीन साल से दोनों पद पर थे सिलावट



डॉ. सिलावट हमेशा ही मजबूत कॉलेज और बड़े पदों पर ही रहे हैं। इसके पहले वह आर्ट एंड कॉमर्स जैसे प्रदेश के सबसे बड़े आर्ट कॉलेज के प्रिंसिपल थे। बाद में जब बीजेपी की सरकार आई और उनके भाई सिलावट की अच्छी खासी पकड़ बनी तो उन्हें क्षेत्रीय संचालक, उच्च शिक्षा बना दिया गया। साथ ही होलकर कॉलेज का भी प्रभार दे दिया गया। करीब 3 साल से वह दोनों ही पदों पर काबिज थे।



आदेश में लिखा- दो दायित्व संभालने से काम प्रभावित होता है



मप्र शासन उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भलावी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है- डॉ. सुरेश सिलावट (प्राचार्य, शासकीय होलकर विज्ञान महाविद्यालय, इंदौर) को अपने काम के साथ कार्यालय क्षेत्रीय संचालक, उच्च शिक्षा इंदौर संभाग का भी प्रभार सौंपा गया था। क्षेत्रीय कार्यालय संचालक का कार्यक्षेत्र पूरे संभाग के सभी महाविद्यालयों के अकादमिक और प्रशासकीय व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन करने का होता है। दोनों पदों पर कार्य करने से कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इसलिए डॉ. सिलावट को प्राचार्य, होलकर विज्ञान महाविद्यालय इंदौर के प्रभार से मुक्त करते हुए डॉ. विवेक रैच को प्रिंसिपल का दायित्व सौंपा जाता है।



आखिर आदेश की जरूरत क्यों पड़ी?



अब उच्च शिक्षा विभाग के हलकों में यह बात चर्चा में है कि आखिर शासन को इस तरह से सफाई देते हुए ऑर्डर जारी करने की जरूरत ही क्यों पड़ी, जबकि सीधे-सीधे एक लाइन का ऑर्डर आ सकता था, जो सामान्य तौर पर होता है। विभागीय अधिकारी इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं। लेकिन शैक्षणिक क्षेत्र में अब इस तरह से दोहरे काम वालों को ढूंढा जा रहा है, ताकि इसी आधार पर अन्य को भी हटवाया जा सके।


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