इन्दौर में एक ऐसा मंदिर जहां होती है रावण की पूजा, गौहर परिवार 10 वर्षों से कर रहा आराधना,बेटों के नाम भी रखे लंकेश मेघनाद

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The Sootr CG
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इन्दौर में एक ऐसा मंदिर जहां होती है रावण की पूजा, गौहर परिवार 10 वर्षों से कर रहा आराधना,बेटों के नाम भी रखे लंकेश मेघनाद

योगेश राठौर , Indore. विजया दशमी के पर्व पर जहा रावण को दहन कर हिंदू मान्यताओं के आधार पर खुशी जाहिर करते हुए दशहरा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है. तो वही दूसरी ओर दशहरा के अवसर पर रावण की पूजा अर्चना भी की जाती है। यूं तो रावण को समूचे भारत मे बुराई का प्रतीक मानकर उसका दहन हर वर्ष किया जाता है लेकिन इंदौर के परदेशीपुरा में एक स्थान ऐसा भी है जहां रावण की पूजा कर समूचे कर्मकांड किये जाते हैं। दरअसल, यहां मान्यता ये है कि रावण भगवान शिव का दसवां अवतार है और एक ब्राह्मण होने के नाते उसका दहन किया जाना ठीक नही है। दरअसल इंदौर के परदेशीपुरा क्षेत्र के गौहर नगर में रावण का मंदिर है और यहां दशानन्द की प्रतिमा को 10-10-2010 को ठीक 10 बजकर 10 मिनिट और 10 सेकंड पर स्थापित किया गया था। रावण के मंदिर को 30 सदस्यीय गौहर परिवार ने बनाया है और तब से ही मंदिर में हर रोज सुबह 10 बजकर 10 मिनिट पर रावण की विशेष पूजा की जाती है। 



 मंदसौर में हुआ दशानन से जुड़ाव



गौहर परिवार के मुखिया महेश गौहर की मानें तो साल 1966 में वो अपने मामा की बारात में मंदसौर गए थे जहां विवाह रस्म के दौरान रावण का पूजन दूल्हा व दुल्हन ने किया था।  तब से ही जिज्ञासावश उन्होंने रावण पर रिसर्च किया तो पाया कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ ही भगवान शिव का अवतार है। ऐसे में रावण के दहन के बदले उसकी पूजा होना चाहिये जिसके बाद 1969 से ही उनके परिवार द्वारा रावण को पूजा जाता है। अब तो आलम ये है कि 30 सदस्यीय परिवार रावण की भक्ति में लीन है। रावण भक्त महेश गौहर ने बताया कि जो लोग रावण को बुराई का प्रतीक मानते हैं वो माने उनका भी भला हो। वो बताते हैं कि उन्हें बुराई का प्रतीक नहीं माना जाना चाहिए।



विशेष पूजा और तांत्रिक क्रिया भी रावण के मंदिर में



बता दें कि रावण को मानने वाले गौहर परिवार में बच्चों के नाम लंकेश, मेघनाद और चन्द्रघटा (सुरपंखा) हैं। महेश गौहर के मुताबिक उनके मंदिर में न सिर्फ इंदौर बल्कि मध्यप्रदेश, यूपी, राजस्थान, बिहार और अन्य प्रदेशों से लोग रावण दर्शन के लिए आते हैं। वहीं वो खुद विशेष पूजा और तांत्रिक क्रिया भी रावण के मंदिर में करते हैं। हालांकि इस दौरान अन्य भक्तों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नही होती है। बता दें कि 10 बजकर 10 मिनिट और 10 सेकण्ड के समय पर रावण की पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि रावण दशगिरी दशानन्द स्वरूप में इंदौर में विराजित है। फिलहाल सारे देश में रावण को बुराई का प्रतीक मानकर जलाया जाता हो लेकिन इंदौर के गौहर परिवार का मानना है कि लंकेश को जिसने भी जलाया है उसके जीवन में मुश्किलें बढ़ी हैं और जो लंकेश की शरण में होता उसका पूरा परिवार सुखमय और धन धान्य से परिपूर्ण जीवन व्यतीत करता है। हालांकि इंदौर का ये परिवार आधुनिक युग में रावण का पूजन कर एक अनूठी मिशाल पेश कर रहा है जिसके पीछे की वजह और तर्क आम लोगो की धारणा से अलग हो सकते है लेकिन रावण के इंदौर में प्रदेश के और देश अन्य राज्यों के स्थानों की तरह इंदौर में आज भी ठाट है।


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