चीफ जस्टिस एनवी रमणा का मीडिया की भूमिका को लेकर दिया हालिया बयान चर्चा में है.. रमणा ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहा है.... आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है.. इसके कई सारे कारण है.. मीडिया संस्थानों के मीडिया हाउस के साथ साथ कई और बिजनेस है.. मीडिया.. बिजनेस के लिए एक शेल्टर की तरह काम करता है.. दूसरी वजह ये भी हो सकती है कि मीडिया संस्थानों को सरकारों की तरफ से मिलने वाली आर्थिक मदद.. अपनी ब्राडिंग के लिए सरकार मीडिया को करोड़ों रु. विज्ञापन के तौर पर देती है और इस एहसान तले मीडिया इतना दब जाता है कि सच को सच कहने की हिम्मत नहीं होती.. मप्र में भी कमोवेश हालात कुछ ऐसे ही है.. अप्रैल 2021 से लेकर जनवरी 2022 तक मप्र सरकार ने मीडिया संस्थानों को 120 करोड़ रु. विज्ञापन के तौर पर दिए है.. यानी हर महीने 12 करोड़ रु... इन 10 महीनों में किस संस्थान को कितना पैसा सरकार की तरफ से मिला..