मध्यप्रदेश के विंध्य में बीजेपी का बुरा हाल, 24 सीटों में अटकी जान; सौगातों से नहीं बनी बात! क्या पीएम मोदी से संभलेंगे हालात?

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश के विंध्य में बीजेपी का बुरा हाल, 24 सीटों में अटकी जान; सौगातों से नहीं बनी बात! क्या पीएम मोदी से संभलेंगे हालात?

BHOPAL. चुनावी सर्वे के बाद बीजेपी की सुई विंध्य पर आकर अटक गई है। जिस क्षेत्र ने 2018 में बीजेपी को सबसे ज्यादा मोहब्बतें बांटी। सत्ता में आते ही उसकी सनम बेवफा बन गई। जब विंध्य ने कैबिनेट में जगह चाही तो सवाल किया हम आपके हैं कौन। अब जब चुनाव सिर पर हैं जो बीजेपी एक बार फिर पूरी ताकत से ये जताने में जुट गई है कि हम तुम्हारे हैं सनम। कि अब तक जो मोहब्बत एकतरफा चल रही थी उसे दूसरी तरफ से जताने का भी वक्त आ गया है, पर क्या देर नहीं हो चुकी। विंध्य तो बीजेपी से नगरीय निकाय चुनाव के समय से ही रूठा हुआ है। इसके बाद पार्टी के इंटरनल सर्वे में जो विंध्य की नाराजगी दिखी उससे ये तो साफ हो गया कि इस बार विंध्य प्यार दिखाने के मूड में बिलकुल नहीं है। चुनावी साल में ये नाराजगी बीजेपी पर बहुत भारी पड़ सकती है। बस यही इल्म हुआ और बीजेपी समझ गई कि अब सिंधिया, शिवराज या गडकरी के चेहरे से कुछ नहीं होगा। अपने सबसे लोकप्रिय चेहरे को विंध्य में उतारना ही होगा।



बीजेपी 24 सीटें लेकर सत्ता में तो आई, लेकिन विंध्य को भूलती गई



बीजेपी का ये सबसे लोकप्रिय चेहरा है पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा। जिस पर लगा दांव अब तक तो खाली नहीं गया। उन्हीं के चेहरे के बूते बीजेपी ने मध्यप्रदेश में पूरी ताकत झौंक दी है। 20 साल से जिस प्रदेश पर बीजेपी काबिज है। उसे लेकर पार्टी ऐसी कोई चूक नहीं करना चाहती जिससे उसे एक बार फिर 2018 वाला झटका लगे। कोशिश है कि विंध्य के मामले में भी चूक की गुंजाइश न रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में विंध्य ने ही बीजेपी को ये दम दिया था कि वो कांग्रेस सरकार डिगा कर सत्ता में वापसी कर सके। जब हर अंचल में बीजेपी को सीटों का जबरदस्त घाटा हुआ था तब विंध्य की 30 में से 24 सीटें बीजेपी की झोली में गिरी थीं और हार जीत का अंतर कम हुआ था। इसके बाद बीजेपी सत्ता में आई तो लेकिन विंध्य को भूलती चली गई। अपनी अनदेखी की वजह से विंध्य ने नाराजगी का अहसास नगरीय निकाय चुनाव में करवाया। पार्टी का इंटरनल सर्वे भी विंध्य में नुकसान की तरफ इशारा कर रहा है। उसके बाद से पार्टी ने यहां सौगातों का पिटारा खोल दिया है।  इसी कड़ी में पहली सौगात दिसंबर 2022 में मिली। 



परियोजनाओं के लोकार्पण में तेजी का सबब चुनाव नहीं तो और क्या है



केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यहां 2.82 किमी लंबी टनल का  लोकापर्ण किया। 1004 करोड़ में तैयार हुई ये टनल देश की पहली एक्वाडक्ट भी है। जिसके ऊपर बाणसागर नहर भी है। इसके अलावा 2 हजार करोड़ से ज्यादा की सात परियोजनाओं का लोकार्पण या शिलान्यास भी किया। फरवरी में रीवा को हवाई अड्डे की सौगात मिली है। इस सौगात को देने खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रीवा पहुंचे थे। यहां कि चौरहटा हवाई पट्टी को एयरपोर्ट में तब्दील किया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसी साल जुलाई माह तक यहां 72 सीटर प्लेन की आवाजाही भी शुरू हो जाएगी। इस तेजी का सबब चुनाव नहीं तो और क्या है। 



विंध्य में बीजेपी को जितना खतरा परायों से उससे ज्यादा डर अपनों का



विंध्य को छप्पर फाड़ कर सौगातें देने के बावजूद बीजेपी इस तरफ से निश्चिंत नहीं है। फरवरी माह के अंत में केंद्रीय मंत्री अमित शाह का विंध्य दौरा हुआ था। जिसमें उन्होंने संगठन के लोगों से भी चर्चा की। उस बैठक के बाद पार्टी को ये अंदाजा हो गया कि विंध्य के मतदाताओं की नाराजगी कम नहीं हुई है। इस नाराजगी को कम नही बल्कि खत्म ही करना है। चुनौतियों की बात करें तो विंध्य का ब्राह्मण से लेकर ठाकुर मतदाता तक बीजेपी से रूठा है। इन्हें मनाने के लिए अब खुद पीएम मोदी मैदान में उतरने वाले हैं। परेशानी ये है कि विंध्य में बीजेपी को जितना खतरा परायों से है उससे ज्यादा डर अपनों का है।



पीएम मोदी के पंचायती राज दिवस पर मध्यप्रदेश पहुंचने की प्लानिंग है



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल 2023 को रीवा पहुंचेंगे। इस मौके पर वह एक बड़े कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी के पंचायती राज दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश पहुंचने की प्लानिंग है। इस मौके पर केंद्रीय पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह भी मौजूद रह सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बने 4 लाख घरों को वर्चुअल तरीके से हितग्राहियों को सौंपेंगे। इसके अलावा मध्यप्रदेश के 1.25 करोड़ लाभार्थियों को भू-अधिकार पट्टा भी सौंपेंगे। पीएम मोदी प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन के तहत 7000 करोड़ रुपए की लागत वाली विभिन्न योजनाओं का भूमिपूजन भी वर्चुअल तरीके से करेंगे। इसके बाद पीएम मोदी प्रदेश भर के पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे। 



बीजेपी के अपने विधायक पृथक विंध्य प्रदेश की मांग पर अमादा 



इस लंबे चौड़े कार्यक्रम के साथ विंध्य को नाराजगी भूलने पर मजबूर करने की पूरी कोशिशे हैं। पीएम मोदी के लोकप्रिय चेहरे को कैश कर उन गिले शिकवे को मिटाना है जो विंध्य बीते तीन साल से लेकर बैठा है। चुनौतियां एक स्तर पर नहीं कई मोर्चों पर हैं। बीजेपी के अपने विधायक नारायण त्रिपाठी पृथक विंध्य प्रदेश की मांग के साथ अलग पार्टी बनाने पर अमादा हैं। नारा वो दे ही चुके हैं तुम मुझे तीस दो मैं तुम्हें विंध्य दूंगा। सुनने में ये भी आया है कि विंध्य जनता पार्टी के नाम से वो चुनावी मैदान में उतरने के लिए भी तैयार हैं। हालांकि, बीजेपी उनके मुद्दे को तूल देने के ज्याजा मूड में नजर नहीं आती।



बाकी मुद्दों को दरकिनार करना ज्यादा आसान नहीं है। नारायण त्रिपाठी तो पार्टी की मुश्किल बने ही हुए हैं एक अन्य वरिष्ठ विधायक भी कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ाते बताए जा रहे हैं। इसका असर भी विंध्य की चुनावी सेहत बिगाड़ रहा है। 



विंध्य एक, चुनौतियां अनेक...




  • उत्तरप्रदेश से सटे विंध्य की स्थानीय राजनीति में जाति भी एक बड़ा मुद्दा है।


  • ब्राह्मण ठाकुरों के अलावा एससीएसटी वर्ग भी निर्णायक भूमिका निभाता है।

  • पिछले चुनाव में बीएसपी का वोटबैंक बीजेपी में शिफ्ट हुआ था।

  • इस बार एससीएसटी मतदाता कांग्रेस की तरफ झुका नजर आ रहा है।

  • राजेंद्र शुक्ल जैसे कद्दावर नेता की अनदेखी से ब्राह्मणों में नाराजगी है।

  • ठाकुर मतदाता भी पार्टी से खास खुश नहीं है।

  • सिंगरौली नगर निगम में जीत के बाद विंध्य में आप की एंट्री भी हो चुकी है।



  • बीजेपी की कमजोरी का फायदा लेने कांग्रेस अब तक एक्टिव नहीं हुई है



    दो उपचुनाव में भी अनूपपुर में बीजेपी ने कांग्रेस की सीट छीनी तो रैगांव में कांग्रेस ने। यानी कि हिसाब बराबर हो गया। बीजेपी की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस अब तक तेजी से एक्टिव नहीं हुई है। न ही विंध्य के कद्दावर कांग्रेसी अजय सिंह को खास जिम्मेदारी सौंपी है। जिसे देखकर ये माना जा सकता है कि बीजेपी पूरा जोर लगा दिया तो तीस की तीस न सही कम से कम पुरानी 24 सीटों पर वापसी कर ही सकती है।



    अमित शाह और पीएम का पूरा फोकस अब विंध्य की ओर है। जिसकी खातिर पीएम का प्रदेश में एक माह के भीतर ही दूसरा दौरा होगा।



    दूध से जली बीजेपी इस बार छाछ पीने से पहले भी फूंक मार रही है



    बीजेपी की तैयारियां जोरों पर है। बात सिर्फ विंध्य की नहीं बीजेपी को पूरा मध्यप्रदेश बचाना है। हर अंचल और हर तबका फिलहाल बीजेपी के लिए अहम है। पिछली बार चुनावी परिणाम के दूध से जली बीजेपी इस बार छाछ पीने से पहले भी फूंक मार रही है। कांग्रेस को खामोश या निष्क्रिय मान कर बीजेपी ने अपनी रणनीति को कमजोर करने की कोशिश करती बिलकुल नहीं दिखाई दे रही। पर, सवाल ये है कि जो दर्द विंध्य बीते तीन साल से दबा कर रखता रहा। क्या उसे महज सात महीनों की कोशिशों में दूर किया जा सकेगा।


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