छोटे चेहरों पर बड़ी जिम्मेदारी, दिग्गज आएंगे बारी-बारी; जानिए 2023 के लिए क्या है बीजेपी का ‘बिग प्लान’

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Harish Divekar
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छोटे चेहरों पर बड़ी जिम्मेदारी, दिग्गज आएंगे बारी-बारी; जानिए 2023 के लिए क्या है बीजेपी का ‘बिग प्लान’

BHOPAL. पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा  मंत्री राजनाथ सिंह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत- बाप रे, इतने सारे दिग्गजों के नाम गिनते गिनते ही मैं थक गया। सोचिए ये सारे नाम सुनकर कांग्रेस का क्या हाल हो रहा होगा। कांग्रेस इन दिनों राहुल गांधी के मुद्दे में उलझी हुई है। उधर बीजेपी के दिग्गजों ने मध्यप्रदेश की बागडोर थाम ली है। एक के बाद एक बड़े नेताओं के ताबड़तोड़ दौरे मध्यप्रदेश में होने हैं। ये बड़े दौरे कई बड़े बदलाव का कारण भी बन सकते हैं, लेकिन पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी छोटे चेहरों को ही सौंपने की तैयारी है। पुराने और नाराज नेताओं को दोबारा साथ लाकर हर मोर्चे पर डैमेज कंट्रोल की भी तैयारियां तेज हो चुकी हैं। 



8 दिन में बीजेपी के 4 बड़े नेता और संघ प्रमुख मध्यप्रदेश में



न शिवराज सिंह चौहान, न वीडी शर्मा, न बीजेपी का कोई और प्रदेश स्तर का नेता- इस बार जीत का जिम्मा इन नेताओं के हाथ में है ही नहीं। चुनाव प्रचार की बागडोर अभी से बीजेपी के दिग्गज संभालते नजर आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में जिनके ताबड़तोड़ दौरे शुरू हो चुके हैं। आठ दिन में बीजेपी के चार बड़े नेता और संघ प्रमुख मध्यप्रदेश में नजर आएंगे। ये सिलसिला थमे उससे पहले दिग्गज जीत की बागडोर ऐसे चेहरों को सौंप कर जाएंगे जिनके नाम शायद ही कभी सुर्खियों में आए हों। बड़े नेताओं के दौरों की शुरूआत केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के साथ हुईं। 25 फरवरी को कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के गढ़ में सेंधमारी की रणनीति के साथ अमित शाह का छिंदवाड़ा दौरा हुआ। वार पलटवार का दौर खूब चला।



1 अप्रैल को PM मोदी भोपाल में सेना के कार्यक्रम में आ रहे हैं



26 मार्च को BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भोपाल दौरे पर आए। 31 मार्च को संघ प्रमुख मोहन भागवत और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भोपाल आएंगे। इसी तरह 1 अप्रैल को PM मोदी भोपाल में सेना के कार्यक्रम में हिस्सा लेने आ रहे हैं। बीजेपी के इस मेगा शो के साथ ही लाड़ली बहना योजना, यूथ पंचायत और किसान सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों की लंबी फेहरिस्त भी तैयार की गई है। ऐसे दौर में जब कांग्रेस हाथ पर हाथ धरे नजर आ रही है या राहुल गांधी के मसले में उलझी हुई है तब बीजेपी ने मध्यप्रदेश में पूरी ताकत झौंक दी है।



इस बार छोटे कार्यकर्ताओं को भी तवज्जो देने की तैयारी 



केवल ताकत ही नहीं झोंकी है। उन पुराने जख्मों पर मल्हम भी लगाना शुरू कर दिया है जिन्हें छोड़ दिया जाता तो शायद वो हार का नासूर बन जाते। अमित शाह के बाद जेपी नड्डा का दौरा भी हो चुका है। इसके बाद से ही बीजेपी में बड़े बदलाव नजर आने लगे हैं और कुछ-कुछ रणनीति भी साफ होती जा रही है। बीजेपी हर वो कदम उठा रही है जो उन्हें हार से दूर ले जाए। फिर चाहें पुराने नेताओं को मेन स्ट्रीम में वापस लाने की कोशिश हो या रूठों की मनाने की। या एंटीइंकंबेंसी जिससे बीजेपी अक्सर इंकार करती है, लेकिन उसे कम करने के लिए इस बार छोटे कार्यकर्ताओं को भी तवज्जो देने की पूरी तैयारी कर ली गई है।



डैमेज कंट्रोल के लिए भी बीजेपी ने कदम उठाया



जीपी नड्डा के दौरे से पहले भोपाल की मुख्य सड़कें बीजेपी दिग्गजों के आदम कद पोस्टरों से भरी पड़ी थीं। वैसे तो बीजेपी का नियम तय है होर्डिंग और पोस्टर में सत्ता और संगठन के मुखिया के चेहरे ही नजर आएंगे। इस बार जेपी नड्डा का दौरा हुआ तो उन आदमकद पोस्टर्स के बीच सुमित्रा महाजन का पोस्टर भी नजर आया। हैरानी का सिलसिला इतने पर ही खत्म नहीं होता। कुछ ही दिन पहले एक नेता को बीजेपी ने निकाल बाहर किया था। नाम था प्रीतम लोधी। जितना बेआबरू कर प्रीतम लोधी को पार्टी से बाहर किया गया था उतने ही सम्मान के साथ बीजेपी में उनकी वापसी करवाई स्वयं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा। मालवा में दिग्गजों का संतुलन बनाए रखने और बुंदेलखंड, चंबल में डैमेज कंट्रोल के लिए क्या बीजेपी ने ये कदम उठाया। प्रीतम लोधी, सुमित्रा महाजन जैसे बड़े नेता न सही, लेकिन उनके नाम से दहक रही बुंदेलखंड और चंबल की सीटों पर डैमेज कंट्रोल जरूरी था, सो बीजेपी ने किया भी।



बीजेपी की कोशिश है कि एंटीइंकंबेंसी को कम करे



कुछ भूले हुए नेताओं को याद करने के साथ ही बीजेपी अब कार्यकर्ताओं के लेवल पर भी बड़े बदलाव करने की तैयारी में जुट गई है जिनके सिर पर जीत की अहम जिम्मेदारी होगी। कोशिश है कि इस बहाने एंटीइंकंबेंसी को भी कम किया जा सके। इस कोशिश के तहत त्रिदेव, बूथ प्रभारी और पन्ना प्रभारी तो होंगे ही। थोड़े और माइक्रो लेवल पर कार्यकर्ताओं का जाल बुना जाएगा।

 

संगठन ने जो रोडमैप तैयार किया है उसके अनुसार... 




  • हर मतदान केंद्र पर एक हितग्राही प्रमुख


  • एक युवा और एक महिला प्रमुख की नियुक्ति होगी

  • हर मतदान केंद्र समिति में दो आईटी एक्सपर्ट होंगे 

  • अर्ध पन्ना प्रमुख की व्यवस्था होगी। यानी अब 6 मतदाताओं पर एक कार्यकर्ता की तैनाती होगी 



  • कांग्रेस का दावा- बीजेपी अपनी हार को लेकर डरी हुई है



    इससे पहले तक हर पन्ने पर एक प्रभारी होता था। अब वोटर लिस्ट के हर पन्ने को दो-दो प्रभारी संभालेंगे। यानी बीजेपी चूक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती। इतनी ताकत लगाने के पीछे मकसद सिर्फ और सिर्फ प्रदेश की सत्ता में वापसी का है, जबकि कांग्रेस इसे बीजेपी का हार के लिए डर बताती है। कांग्रेस का दावा है बीजेपी अपनी हार को लेकर बुरी तरह डरी हुई है। इसी वजह से इतनी लंबी चौड़ी प्लानिंग की जा रही है।



    इस बार जीत से किसी किस्म का कंप्रोमाइज नहीं



    2018 की हार के बाद बीजेपी किसी भी मुगालते में नहीं है। इस बार जीत से किसी किस्म का कंप्रोमाइज करने की कोशिश में भी नहीं है। फिर भले ही पार्टी के अनुशासन से समझौता कर बागी नेता की वापसी करवानी हो या पार्टी में हाशिए पर पहुंचा दिए गए पुराने नेताओं को वापस मुख्यधारा में लाना हो।



    इधर... कांग्रेस की सहानुभूति बटोरने की पूरी कोशिश है



    राहुल गांधी की संसद से सदस्यता रद्द होने के बाद पूरी कांग्रेस एग्रेसिव मोड में है। इस मुद्दे पर गांधी परिवार की शहादत याद दिलाई जा रही है और सहानुभूति बटोरने की भी पूरी कोशिश है। कांग्रेस की इस व्यापक रणनीति के सामने बीजेपी व्यापक और माइक्रो दोनों लेवल की प्लानिंग के साथ चुनावी मैदान संभाल रही है। एक बड़ी सर्जरी की जगह, बीजेपी हर मर्ज का इलाज माइक्रो सर्जरी के साथ कर रही है। दोनों में से कौन सी सर्जरी कामयाब होती है ये चुनावी नतीजों के बाद ही साफ होगा।


    MP News एमपी न्यूज Big responsibility on small faces veterans will come in turn know what is BJP's big plan for 2023 छोटे चेहरों पर बड़ी जिम्मेदारी दिग्गज आएंगे बारी-बारी जानिए 2023 के लिए क्या है बीजेपी का बिग प्लान