देव श्रीमाली ,GWALIOR. ग्वालियर में बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों में अब बेचैनी बढ़ने लगी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है सरकार द्वारा शुरू की गईं संगठन और सरकार की भर्तियों में उन्हें स्थान ना मिलना है। हाल ही में ग्वालियर शहर में बीजेपी ने अपने मंडल अध्यक्षों के नामों की घोषणा की। छह मंडल नए बनाए गए और शहर में मंडलों की संख्या 9 से बढ़कर 15 हो गई लेकिन इनमें से एक भी मंडल अध्यक्ष सिंधिया समर्थक नहीं बन पाया। इसी तरह सत्ता में सरकार ने दो अध्यक्ष नियुक्त किए, लेकिन इनमें भी एक भी सिंधिया समर्थक नहीं है।
बीजेपी ने घोषित किए 15 मंडल अध्यक्ष
ग्वालियर महानगर में संगठन की दृष्टि से बीजेपी अब तक नौ मंडलों में बंटी हुई थी। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा शहर के छह नए वार्डों में शामिल होने के कारण पार्टी ने संगठनात्मक भूगोल में परिवर्तन करते हुए छह नए मंडल बनाने की घोषणा की थी। इसके चलते बीते रोज नए मंडल अध्यक्षों की घोषणा की गई। इन सभी पंद्रह में से सभी बीजेपी नेताओं के ही नजदीकी हैं, लेकिन एक भी सिंधिया समर्थक को इसमें जगह नहीं दी गई है। इससे पहले जब बीजेपी ने अपनी जिला कार्यकारिणी की घोषणा की थी तब भी कोई सिंधिया समर्थक महामंत्री की महत्वपूर्ण पोस्ट नहीं पा सका था।
यह बने नए मंडल अध्यक्ष
गरगज हनुमान मंडल में फिर से प्रयाग सिंह तोमर को ही मंडला अध्यक्ष बनाया गया है। वे मूलत :वरिष्ठ बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया के खास थे हालांकि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने उनसे ठीक रिश्ते बना लिए हैं। कोटेश्वर महादेव मंडल में अध्यक्ष बनाए गए आकाश श्रीवास्तव बीजेपी जिला अध्यक्ष अभय चौधरी के नजदीकी हैं। राजा मानसिंह तोमर मंडल में अध्यक्ष बृजमोहन शर्मा भी पवैया खेमे से हैं वहीं रानी लक्ष्मीबाई मंडल में अध्यक्ष नियुक्त हुए मनमोहन पाठक खेलमंत्री यशोधरा राजे सिंधिया खेमे से हैं। हालांकि, उनकी प्रद्युम्न सिंह से भी संबंध ठीक-ठाक हैं। दुर्गादास राठौर मंडल के नए अध्यक्ष योगेंद्र तोमर भी पवैया के नजदीक हैं। इस तरह ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री पवैया समर्थकों का दबदबा बकरार रहा। इसी तरह दीन दयाल मंडल में जबर सिंह गुर्जर संगठन की पसंद हैं, तो महाराणा प्रताप मंडल में अध्यक्ष बनाए गए उमेश सिंह भदौरिया नरेंद्र तोमर खेमे से हैं। वीर सावरकर मंडल में अध्यक्ष बने रमाकांत महते भी संगठन से हैं। हालांकि इनसे पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल से भी ठीक रिश्ते हैं। ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के मंडलों में से अटल विहारी वाजपेयी मंडल में सांसद विवेक शेजवलकर की पसंद मनोज मुटाटकर तो हेमू कालानी मंडल में जिलाध्यक्ष अभय चौधरी की पसंद महेंद्र श्रीवास्तव, इसी तरह विवेकानंद मंडल में शेजवलकर समर्थक चेतन मंडलोई तो गुप्तेश्वर मंडल में चौधरी समर्थक विनय शर्मा अध्यक्ष बनाये गए हैं।
सिंधिया समर्थक होने की चर्चा के चलते हटाया
इसके अलावा एक मंडल अध्यक्ष सतीश साहू को उनके पद से हटा दिया गया। सूत्रों के अनुसार इसका कारन भी बड़ा चौंकाने वाला बताया जा रहा है। साहू हैं तो मूलत: बीजेपी के और संगठन ने ही उन्हें मंडल अध्यक्ष बनाया था लेकिन कहा जा रहा है कि बनने के बाद वे ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल के नजदीक हो गए थे। यह बात बीजेपी नेताओं में चर्चा का विषय बन गई थी और आखिरकार उन्हें हटा दिया गया।
बोर्ड अध्यक्षों में भी सिंधिया का कोई नहीं
उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर से दो शासकीय बोर्ड में चेयरमेन की नियुक्ति कर सबको कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है लेकिन इसमें भी एक भी सिंधिया समर्थक नहीं हैं। सबसे पहले भांडेर से पूर्व विधायक घनश्याम पिरोनिया को बांस बोर्ड का चेयरमेन बनाया गया है। घनश्याम संघ से जुड़े हैं और भांडेर सीट से टिकट के प्रबल दावेदार हैं। यहाँ से अभी सिंधिया समर्थक विधायक है। इसी तरह मछुआ बोर्ड के अध्यक्ष बनाये गए बाथम भी बीजेपी से हैं।
मायूस हैं सिंधिया समर्थक
इस घटनाक्रम से बीजेपी में कांग्रेस से गए सिंधिया समर्थकों में मायूसी है क्योंकि कांग्रेस में ग्वालियर में एक सत्ता या संगठन के सभी पदों के लिए व्यक्तियों का चयन सिंधिया ही करते थे लेकिन यहाँ वे अपना एक महामंत्री या मंडल अध्यक्ष तक नहीं बनवा सके। एक दुखी नेता ने कहा कि कांग्रेस में शहर ही नहीं पूरे संभाग के जिला अध्यक्ष तक महाराज तय करते थे लेकिन यहाँ तो मंडल अध्यक्ष तक हमारा नहीं बन पा रहा है और बीजेपी वाले आज भी हमें बाहर का मानते है और हमसे दूरी बनाकर रखते हैं।