संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर बीजेपी के संभागीय प्रभारी का दायित्व अचानक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक रह चुके और अभी तक सह प्रभार का पद संभाल रहे राघवेंद्र गौतम को दिया गया है। मंगलवार,18 अप्रैल को दिन में बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक हुई। इसमें हर जगह की तरह इंदौर से भी फीडबैक रिपोर्ट गई कि सब कुछ सही नहीं है और कार्यकर्ताओं में सत्ता और संगठन को लेकर भारी नाराजगी है। ऐसे में इनके बीच रहकर समस्याओं को सुनने वाला और दूर करने वाला व्यक्ति चाहिए। सबनानी अभी बीजेपी में प्रदेश महामंत्री भी हैं और प्रदेश कार्यालय भी देख रहे हैं। ऐसे में उनके पास समय की कमी है। इंदौर में बैठकर रहकर बात करने वाला व्यक्ति चाहिए। इंदौर जिला प्रभारी और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा वन-टू-वन की गई बात के बाद बनी फीडबैक रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई थी, जो कोर बैठक में रखी गई। इसके बाद शाम होते-होते गौतम की नियुक्ति हो गई, क्योंकि वह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के साथ ही बड़वानी जिले के प्रभारी रहे और मालवा में उनके संबंध फैले हुए हैं।
सांसद लालवानी और उनके बीच खींचतान की कहानी
वहीं इस बदलाव के लिए पर्दे के पीछे सांसद शंकर लालवानी और सबनानी के बीच चल रही खींचतान की बात भी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इंदौर के बावड़ी हादसे के बाद 31 मार्च को भोपाल में सिंधी समाज का बड़ा आयोजन था। इसमें शंकर लालवानी जो इकलौते सांसद थे। उन्हें पीछे की पंक्ति में जगह दी गई थी। वहीं सबनानी खुद भोपाल बैरागढ़ से चुनाव की मंशा रखते हैं, ऐसे में उनके अपने राजनीतिक हित थे। जिसके चलते दोनों के राजनीतिक हित टकरा रहे हैं। बताया जा रहा है कि लालवानी भी विधानसभा चार से टिकट की मंशा रख रहे हैं, उधर, जबलुपर से रोहाणी चुनाव लड़ते ही है, ऐसे में पार्टी सिंधी समाज से कितने टिकट देगी? सबनानी और लालवानी दोनों की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के चलते इंदौर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। वहीं बताया जाता है कि पूर्व में इंदौर संभाग प्रभारी रह चुके आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा का भी फीडबैक यही था कि इंदौर में सत्ता, संगठन को लेकर समय देने की जरूरत है।
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निगम चुनाव टिकट वितरण में भी आई थी नाराजगी सामने
सबनानी के कार्यकाल के दौरान इंदौर में निगम चुनाव टिकट वितरण के दौरान भी कई तरह के विवाद सामने आए थे। वहीं चुनाव के दौरान कम वोटिंग की भी समस्या सामने आई थी। इन सभी के लिए कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आई थी। इसके बाद से लगातार सत्ता, संगठन के बीच समन्वय की कमी देखी जा रही थी।
चुनाव के लिहाज से अहम है नियुक्ति
गौतम मूल रूप से शिवपुरी जिले के हैं। वह सीहोर और रीवा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक भी रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव में अब सात माह का ही समय रह गया है। ऐसे में यह नियुक्ति काफी अहम है। उनकी नजर सभी विधायकों के कामकाज पर रहेगी और साथ ही जो दावेदार और सक्रिय नेता है। उन सभी पर भी उनकी नजर रहेगी। हालांकि, पहली प्राथमिकता तो नाराज कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करना और बूथ स्तर को मजबूत करना ही होगा। लेकिन यह तय है कि आने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान संभाग में टिकटों की दावेदारी पर उनका फीडबैक सबसे अहम साबित होगा। गौतम का कहना है कि बूथ संगठन के साथ ही मालवा की हारी हुई सीट और जिन पर पार्टी को नुकसान हुआ, उस पर उनका मुख्य जोर रहेगा।