द सूत्र इम्पैक्ट: MP में भी होगी जीनोम सीक्वेंसिंग, 5 मेडिकल कॉलेज में लगेगी मशीनें

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द सूत्र इम्पैक्ट: MP में भी होगी जीनोम सीक्वेंसिंग, 5 मेडिकल कॉलेज में लगेगी मशीनें

भोपाल. द सूत्र की खबर के बाद मध्यप्रदेश में भी कोरोना संक्रमित लोगों की जीनोम सीक्वेंसिंग (MP genome sequencing machine) हो सकेगी। केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश के लिए 5 मशीनें स्वीकृत की है। राजधानी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा और जबलपुर मेडिकल कॉलेज में ये मशीन लगवाई जाएगी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग (Vishwas Sarang) ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) से मुलाकात कर जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें उपलब्ध कराने की मांग की थी। जिसके बाद उन्होंने मध्यप्रदेश के लिए 5 मशीनें स्वीकृत की है। इससे कोरोना के नए वैरिएंट की जांच मध्यप्रदेश में ही हो पाएगी। दरअसल, 5 महीने पहले सरकार की ओर से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें लगाने का ऐलान किया गया था। लेकिन इसके बाद भी ओमिक्रॉन वैरिएंट (omicron Variant) की जांच के लिए सैंपल दिल्ली भेजे रहे हैं। 7 दिसंबर को द सूत्र ने इस खबर को प्रमुखता से छापा था। जिसके 2 दिन बाद ही प्रदेश में जीनोम मशीनें लगाने की कवायद की गई है।

सुविधा का ऐलान कर भूली थी सरकार

7 दिसंबर को द सूत्र ने बताया था कि कोरोना की तीसरी लहर (Third wave of corona) का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन कोरोना पॉजीटिव (Corona positive) मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome sequencing) की न तो प्रदेश में कोई व्यवस्था न ही कोई लैब है। जांच सुविधा न होने से प्रदेश के सैंपल नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) दिल्ली भेजे जा रहे हैं। जिसकी रिपोर्ट महीने भर बाद भी नही मिल पा रही है। 5 महीने पहले 25 जून 2021 को प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) ने दिल्ली की (एनसीडीसी) के सहयोग से भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल (Kamala Nehru Hospital) में जीनोम सीक्वेंसिंग लैब खोले जाने की घोषणा की थी। लेकिन 5 महीने गुजर जाने के बाद भी जीनोम सीक्वेंसिंग लैब घोषणा से ज्यादा कुछ नही है। वहीं, हेल्थ डिपार्टमेंट (Health Department) ने आरटीपीसीआर (RTPCR) के हर पॉजिटिव सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की अनिवार्यता का फरमान जारी कर दिया है। जबकि मध्यप्रदेश के किसी भी शहर और बड़े संस्थान में अभी इस जांच की सुविधा ही नहीं है ऐसे में समझा जा सकता है की सरकार के दावों और हेल्थ डिपार्टमेंट जमीनी हकीकत क्या है।

दिल्ली से रिपोर्ट के लिए एक महीने का इंतज़ार

प्रदेश की सीमा से लगे अन्य प्रदेशों में कोरोना के नए वैरियेंट ओमिक्रान की पुष्टि हो गई है। सरकार का दावा है कि प्रदेश में अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन ये राहत भरी नहीं चिंताजनक खबर है क्योंकि प्रदेश में सामने आ रहे कोरोना पॉजीटिव मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग ही नहीं हो रही है। प्रदेशभर के सैंपल नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) दिल्ली भेजे जा रहे हैं। लेकिन महीनेभर में भी एनसीडीसी से रिपोर्ट नहीं आ रही है। जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए प्रदेश में कोई लैब नहीं है। वहीं, एम्स भोपाल (Aiims Bhopal) में भी इसकी जांच नहीं होती। भोपाल में एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र बनाए कवायद करीब एक साल से चल रही है।

भोपाल में बनना है NCDC का सेंटर

भोपाल में एनसीडीसी का क्षेत्रीय सेंटर 10 एकड़ में बनाया जाना है। फरवरी 2021 में चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने इसे लेकर एसीएस मोहम्मद सुलेमान एवं अन्य अधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक भी की थी। बताया था एनसीडीसी का यह केंद्र हाईटेक उपकरणों से लैस होगा।

कमला नेहरू अस्पताल में खुलनी थी लैब

अप्रैल 2021 में कोरोना के नए वैरियेंट डेल्टा ने देश में कहर बरपा दिया था। कोरोना वायरस के नए रूप डेल्टा की वजह से ही दूसरी लहर आई थी। डेल्टा वैरियेंट की पहचान भी जीनोम सीक्वेंसिंग से हुई थी। तब भी प्रदेशभर के सैंपल एनसीडीसी दिल्ली और पुणे भेजे जा रहे थे। 20-22 दिन में रिपोर्ट मिल रही थी। जिसके चलते मरीजों के इलाज में देरी हुई। उस दौरान प्रदेश सरकार ने तय किया था कि एनसीडीसी का क्षेत्रीय केंद्र बनने में समय लगेगा। लिहाजा पहले कमला नेहरू अस्पताल के 6 वें फ्लोर पर जीनोम सीक्वेसिंग लैब लगाई जाएगी। तब जांच के जरूरी उपकरण दो हफ्ते में इंस्टॉल किए जाने का दावा किया गया था।

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