GUNA. मध्यप्रदेश में गुना के जिला अस्पताल में रोगी कल्याण समिति में करीब एक करोड़ रुपए के फंड में हेरफेर का मामला सामने आया है। धांधली का आरोप तत्कालीन क्लर्क पर है, जिसकी मौत हो गई है। हेरफेर की जानकारी कलेक्टर तक पहुंची, जिस पर जांच बैठाई गई है। अब अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया है।
जानकारी के मुताबिक, तत्कालीन बाबू ने एक करोड़ के फंड गायब करने के बाद रिकॉर्ड भी ठिकाने लगा दिया। फंड को लेकर जब सिविल सर्जन ने जांच कराई तो पता चला कि केवल 2 लाख ही खाते में बचे है। जबकि इस समय करीब 90 लाख रुपए होना चाहिए।
6 महीने पहले समिति में थे लाखों रुपए
जानकारी अनुसार, छह महीने पहले रोगी कल्याण समिति के फंड में लाखों रुपए थे। घोटाले का जब खुलासा हुआ, तो सिर्फ 2 लाख ही रुपए बचे पाए गए। कलेक्टर फ्रेंक नोबेल ए ने इस मामले की जांच बैठाते हुए टीम भी घटित कर दी है। सीएमएचओ डॉ. राजकुमार ऋषीश्वर और सिविल सर्जन डॉ. एसओ भोला जांच करने में जुटे हैं, लेकिन एक महीने के बाद भी आय और खर्च के रिकॉर्ड नहीं मिल रहे। जिला अस्पताल की रोगी कल्याण समिति में हुए घोटाले के बाद तत्कालीन सिविल सर्जन और मृतक बाबू के ऊपर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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डॉ. भोला ने मीडिया को बताया कि रोगी कल्याण समिति के रिकॉर्ड मौजूदा क्लर्क को नहीं मिल रहे। शाखा में फंड की स्थिति भी खराब है। जो पहले क्लर्क था, जिसका निधन हो चुका है, तब फंड में गड़बड़ी की गई। रिकॉर्ड मिलने के बाद ही सारे तथ्य सामने आएंगे।
हर भर्ती मरीज से लिए जाते हैं 50 रुपए
वहीं, जिला अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 400 मरीज यहां हर समय भर्ती रहते हैं। एक भर्ती मरीज से 50 रुपये लिए जाते हैं। ऐसे में भर्ती मरीजों से दो लाख रुपए की इनकम होती है, जिसे रोगी कल्याण समिति में जमा किया जाता है। उधर, हर रोज करीब 800 मरीज ओपीडी में दिखाने आते हैं। एक मरीज से 10 रुपए लिए जाते हैं। जिला अस्पताल की 11 दुकानों से भी इनकम होती है, उसके बाद भी रोगी कल्याण समिति में जमा केवल दो लाख का फंड सवाल खड़े करता है।