देव श्रीमाली, GWALIOR. बीएससी नर्सिंग सेकंड ईयर की परीक्षा के नोटिफिकेशन जारी करने को लेकर आयुर्विज्ञान मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं । इस नोटिफिकेशन के जरिए विश्वविद्यालय ने ऐसे छात्रों को भी परीक्षा में बैठने का अधिकार दे दिया था जिनका रजिस्ट्रेशन तक नहीं था। इस मामले में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने विवि के परीक्षा नियंत्रक को जमकर फटकार लगाते हुए यह तक कह दिया कि तुम तो चपरासी की नौकरी करने लायक तक नहीं हो। हाइकोर्ट ने उनसे 16 जनवरी तक शपथ पत्र देकर ये बताने को कहा है कि उन्होंने किस नियम के तहत ये अधिसूचना जारी की।
क्या है पूरा मामला
ये मामला नर्सिंग परीक्षाओं से जुड़ा हुआ है। 19 सितंबर 2022 को आयुर्विज्ञान मेडिकल कॉलेज जबलपुर ने एक नोटिगिकेशन जारी किया था। इसमें उन कॉलेजों के बीएससी नर्सिंग सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम का टाइम टेबल जारी किया जो विवि से संबद्धता ही नही ले सके। इनके स्टूडेंट्स इसके अभाव में परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे थे। इस नोटिफिकेशन के जरिए उन्हें परीक्षा में बैठने का रास्ता साफ किया गया। हालांकि विवाद बढ़ने पर 30 नवंबर 2022 को यह अधिसूचना रद्द कर दी गई।
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हाईकार्ट में दी गई चुनौती
इस नोटिफिकेशन को चुनौती देते हुए हरिओम नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की। एडवोकेट उमेश बोहरे के अनुसार याचिका के जरिये न्यायालय को बताया कि ग्वालियर-चंबल अंचल में जितने भी नर्सिंग कॉलेज शामिल हैं उनमें से ज्यादातर के पास न तो बिल्डिंग है, न अस्पताल और न ही फेकल्टी। इस याचिका को स्वीकार कर हाईकोर्ट ने इस अधिसूचना को स्टे करते हुए सारी कॉपियां शील्ड करने का आदेश देते हुए यूनुवर्सिटी के एग्जाम कंट्रोलर को चार जनवरी को तलब किया था।
हाईकोर्ट बोला, ये बहुत बड़ा घोटाला
वकील उमेश बोहरे ने बताया कि हाईकोर्ट में बुधवार 4 जनवरी को यूनिवर्सिटी के एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर सचिन कुचिया ने पेश होकर जब अपना स्पष्टीकरण दिया तो कोर्ट नाराज हो गया। हाईकोर्ट जज ने कहा कि ये बहुत बड़ा घोटाला है जो पूरे एमपी में चल रहा है। ऐसे लोग जिन्होंने कभी कोई क्लास अटेंड नहीं की, न परीक्षा दी वे परीक्षा सर्टिफिकेट हाथ में लिए घूम रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस तरीके पर कड़ी नाराजी व्यक्त करते हुए परीक्षा नियंत्रक से पूछा कि आखिर आपको ये अधिकार किसने दिया, इस तरह की परीक्षा आयोजित करने का ? ये यूनिवर्सिटी है या जोकर ? कोर्ट ने विवि के वकील से कहा- इस परीक्षा नियंत्रक को हटाओ नहीं तो यह व्यक्ति जेल जाएगा।
कोर्ट ने पूछी परीक्षा नियंत्रक की योग्यता
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने जब वुधवार को इस याचिका पर सुनवाई शुरू की तो कंट्रोलर ने अपना स्पष्टीकरण दिया। तो कोर्ट ने पहले तो उनकी योग्यता पूछी और फिर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि इतने पढ़े लिखे हो लेकिन तुम्हे इतनी भी तमीज नहीं है कि चपरासी भी बनाया जा सके। आपको पता है, क्या कर रहे हो? इस ड्रामे में मत आओ वरना तुम्हे भी जेल होगी। ये तो मूर्खता की पराकाष्ठा है ,जिन बच्चों का रजिट्रेशन ही नहीं हुआ, आप उनकी परीक्षा ले रहे हो। ये नहीं देख रहे कि उन्होंने पढ़ा भी है या नहीं ?
हाईकोर्ट ने ये दिए निर्देश
एडवोकेट उमेश बोहरे ने बताया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में विवि के कुलपति से शपथ पत्र देकर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या विवि ने प्रावधान के अंतर्गत ये नोटिफिकेशन जारी किया है। उन्होंने एग्जाम कंट्रोलर को चेतावनी भी दी कि वे सपने में भी ऐसे नोटिफिकेशन जारी न करें। इस केस की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।