चंबल नदी में गैरकानूनी ढंग से चलते स्टीमरों से जान को खतरा, दोगुनी सवारियां बैठाते हैं, किनारे की बजाय पानी में उतार देते हैं

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Dev Shrimali
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चंबल नदी में गैरकानूनी ढंग से चलते स्टीमरों से जान को खतरा, दोगुनी सवारियां बैठाते हैं, किनारे की बजाय पानी में उतार देते हैं

श्याम मोहन डंडोतिया, MORENA. जिले में चम्बल नदी में गैरकानूनी ढंग से चलाये जा रहे स्टीमर किसी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे रहे है। वे अवैधानिक परिवहन तो कर ही रहे हैं साथ ही अंधाधुंध संख्या में सवारियां बिठाकर लोगों की जान से खतरनाक खेल भी खेल रहे हैं। जिले में चम्बल नदी पर स्थित टेंटरा थाना  इलाके के अटार घाट पर अगर स्टीमर में सवारियां भरने का कोई दृश्य देख ले तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सबसे बिडंबना की बात ये है कि जिला प्रशासन हो या पुलिस सबके सामने यह खतरनाक काम किया जा रहा है, लेकिन सब के सब आंखें मूंदे बैठे हुए है। 





त्यौहार के समय बढ़ जाती है भीड़ 





इस नदी पर पुल न होने पर लोग गैरकानूनी ढंग से संचालित होने वाले स्टीमर के ही सहारे रहते हैं इसका फायदा यह स्टीमर चालक यात्रियों की जान जोखिम में डालकर खूब उठाते हैं। नवदुर्गा महोत्सव के समय मे विजयपुर, सबलगढ़ क्षेत्र के हजारों लोग पदयात्रा करके कैलादेवी जाते हैं। यहां लोग चंबल नदी को पार करने के लिए स्टीमर का सहारा लेते हैं। एक स्टीमर में अधिकतम 40 सवारियां बैठाई जा सकती हैं, लेकिन ज्यादा कमाने के लालच में स्टीमर में 80 से 100 तक सवारियां बैठाई जाती हैं। इन सवारियों को नदी किनारे की नदी के तीन से चार फीट गहरे पानी में उतार दिया जाता है। जहां से किनारे तक आने के लिए लोगों को 100 से 200 मीटर तक पैदल नदी पार करनी पड़ रही है। 





मगरमच्छ से भी जान को खतरा 





चंबल नदी में सैकड़ों मगरमच्छ हैं, जो आए दिन नदी किनारे से मवेशी या किसी ग्रामीण को खींचकर ले जाते हैं। ऐसे में स्टीमर ठेकेदार द्वारा लोगों को नदी के बीच पानी में ही उतारना खतरनाक साबित हो सकता है। खास बात यह है कि इस बार स्टीमर के ठेकेदार ने जनपद पंचायत से कोई अनुमति नहीं ली, नहीं जनपद में कोई शुल्क जमा कराया गया है। नियमानुसार स्टीमर को चलाने से पहले जनपद में शुल्क जमा किया जाता है लेकिन यहाँ किसी ने भी शुल्क जमा करके इजाजत नहीं ली है बल्कि अधिकारियों ,कर्मचारियों और पुलिस की मिलीभगत से यह जानलेवा कारोबार चल रहा है। 





अफसर बोले- नोटिस देंगे 





जब इस मामले में क्षेत्र के एसडीएम से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि हमने जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब मांगे हैं। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो कड़ी कार्यवाही करेंगे। लेकिन सवाल यही है कि कर्यवाही होगी कब ? किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ? इस मामले में जिला पंचायत के सीईओ नरोत्तम भार्गव का कहना है कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है।  हम इस मामले में जनपद पंचायत सबलगढ़ के सीईओ और तहसीलदार को नोटिस जारी करके इस बारे में स्पस्टीकरण मांग रहे हैं। 





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