DHAR (SARDARPUR). मध्यप्रदेश के धार में मुंह में पटाखा फूटने से सेना के एक जवान की मौत हो गई। जवान एक महीने की छुट्टी पर अपने गांव आया था, यहां एक शादी समारोह में आतिशबाजी चला रहा था। दोस्तों के उकसाने पर उसने रॉकेट मुंह में दबाकर जला दिया। इस दौरान ब्लास्ट होने से उसकी मौत हो गई। हादसे में उसका चेहरा बुरी तरह फट गया। इस घटना से शादी समारोह में मातम छा गया।
हादसा आदिवासी गांव जलोख्या का
मामला, धार जिले की सरदारपुर तहसील के आदिवासी ग्राम जलोख्या का है। जवान का नाम निर्भय सिंह (35) था। वह भारतीय सेना में जम्मू-कश्मीर में पोस्टेड था। सोमवार, 24 अप्रैल की रात को वह गांव में ही आयोजित एक शादी समारोह में पहुंचा था। इस दौरान वह परिवार के साथ नाच रहा था। जवान निर्भय सिंह ने नाचते- नाचते हाथ में एक रॉकेट लेकर उसे जलाया। वह आसमान की तरफ जाकर फट गया। थोड़ी देर बाद उसने दूसरा रॉकेट उठाया और उसे मुंह में रखकर दबा लिया। निर्भय ने जैसे ही रॉकेट में आग लगाई, वह मुंह में ही फट गया। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। अचानक हुई इस घटना के बाद शादी समारोह में अफरा-तफरी मच गई। रात में ही परिजन फौजी के शव को लेकर समीप के अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।मंगलवार, 25 अप्रैल को जवान के शव का पोस्टमॉर्टम हुआ। बताया जा रहा है कि दोस्तों के उकसाने पर जवान ने रॉकेट को मुंह में रखकर जलाया था।
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जम्मू-कश्मीर में पदस्थ था निर्भय सिंह
निर्भय सिंह भारतीय सेना में था और जम्मू-कश्मीर में पदस्थ था। वह एक महीने की छुट्टी लेकर लेकर 2 अप्रैल को धार जिले में स्थित अपने गांव आया था। सोमवार, 24 अप्रैल को उसके परिचित मोहन बिलवाल के बेटे बबलू की शादी थी। जहां उसके साथ हादसा हो गया। सूचना मिलने पर मंगलवार, 25 अप्रैल को ही इंदौर से एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची और पंचनामा बनाकर मर्ग कायम किया। एफएसएल टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। साथ ही गांव के लोगों से भी घटना को लेकर पूछताछ की। साथ ही शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया। अमझेरा पुलिस की टीम भी जांच के लिए गांव पहुंची।
सेना की टीम भी गांव पहुंची
हादसे की सूचना परिवार के लोगों ने भारतीय सेना के अधिकारियों को भी दी। इसके बाद मंगलवार, 25 अप्रैल दोपहर को महू से सेना के अधिकारी गांव पहुंचे। जहां सेना के जवानों ने मृत जवान को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद सेना के वाहन में फौजी का शव रखकर गांव में अंतिम यात्रा निकाली गई और सेना के प्रोटोकॉल के तहत जवान का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में क्षेत्र के ग्रामीण शामिल हुए।