BHOPAL. थाने में फरियाद लेकर पहुंचने वाला शिकायतकर्ता अब खाली हाथ नहीं लौटेगा। उसकी शिकायत की एंट्री डायरी में होगी और उसका रिकॉर्ड रखा जाएगा। साथ ही शिकायत की जांच करने वाले की जवाबदारी होगी। ऐसे में थाना प्रभारी या विवेचना अधिकारी शिकायतकर्ता को नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे। पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में भोपाल-इंदौर के पुलिस कमिश्नर समेत सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं। इस संबंध में राज्य सूचना आयोग ने सिफारिश की थी।
पहले पुलिस कोर्ट में केस लगाने की देती थी सलाह
आमतौर पर थाने पहुंचने वाले कई शिकायतकर्ताओं को ये कहते हुए रवाना कर दिया जाता था कि पुलिस कुछ नहीं कर सकती कोर्ट में केस लगाओ। कई शिकायतों में पुलिस सीआरपी की धारा 155 में एनसीआर काटकर पल्ला झाड़ लेती थी। अब पुलिस मुख्यालय की सीआईडी शाखा ने निर्देश दिए हैं कि थानों से प्राप्त होने वाली शिकायतों (संज्ञेय अपराध की हो या असंज्ञेय) को थाने की जनरल डायरी में दर्ज करना होगा। शिकायतकर्ता को एंट्री नंबर भी देना होगा। शिकायत के दर्ज होते ही इस संबंध में थाने के किसी अफसर या पुलिसकर्मी की जवाबदेही भी तय करना होगी।
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शिकायतकर्ता को मिलेगी शिकायत की रसीद
निर्देशन में साफ है कि थाने में प्राप्त होने वाली हर शिकायत की पावती अनिवार्य रूप से शिकायतकर्ता को दी जाए। ये सुनिश्चित करना पुलिस अधीक्षक की जिम्मेगापी होगी। पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अधीनस्थ अफसरों एएसपी,सीएसपी, एसडीओपी, डीएसपी, थाना प्रभारियों के साथ ही विवेचना अधिकारियों से इन निर्देशों का पालन कराएं।