MP सरकार ने कारम डैम के खतरे से नहीं लिया सबक, रिसाव वाली जगह पर मिट्‌टी डालकर किया जा रहा सुधार; बारिश में फिर खतरा

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Vijay Choudhary
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MP सरकार ने कारम डैम के खतरे से नहीं लिया सबक, रिसाव वाली जगह पर मिट्‌टी डालकर किया जा रहा सुधार; बारिश में फिर खतरा

संजय गुप्ता, INDORE. धार जिले के कारम नदी पर बने डैम संकट को गुजरे अभी 3 महीने का ही समय बीता है और इससे भी सरकार और जल संसाधन विभाग सबक लेने के लिए तैयार नहीं है। इस प्रोजेक्ट को बनाने वाली दिल्ली की एएनएस कंस्ट्रक्शन और पेटी कांट्रेक्ट लेने वाली ग्वालियर की सारथी कंसट्रक्शन ने यहां रिपेयर का काम शुरू किया है। इसे लेकर फिर आरोप लग रहे है कि रिपेयर काम को लेकर केवल लीपापोती की जा रही है और जहां से रिसाव हुआ था वहां केवल मिट्‌टी डालकर उसे ढ़कने का काम किया जा रहा है। इस मुद्दे को उठाने वाले ग्रामीण लोकेश सोलंकी ने द सूत्र से चर्चा में कहा कि 2 दिन पहले यहां पर काम शुरू किया गया है और जेसीबी से मिट्‌टी निकालकर रिसाव वाली जगह पर डालने का काम किया जा रहा है। यह केवल लीपापोती वाला काम हो रहा है। कायदे से पूरी मिट्‌टी हटाकर डैम के बेस से लेकर ऊपर तक फिर से मजबूत काम करना होगा लेकिन कंपनी यह कुछ भी नहीं कर रही है, जिससे अगली बारिश में फिर 18 गांव के हजारों लोगों पर बारिश के दौरान संकट रहेगा।



जांच रिपोर्ट में भी मिट्‌टी की लेयर को बताई थी काम



कारम डैम हादसे की जांच कमेटी ने भी पाया था कंपनी ने 210 दिन के काम को जल्दबाजी में 90 दिन में किया है। इससे संकट आया। साथ ही यहां मिट्‌टी की लेयर को जो बेहतर रोलर कर बिछाकर करना था, जल्दबाजी के चलते वह सही से नहीं हुआ। इस कारण से रिसाव हुआ। मिट्‌टी में पत्थर भी मिलाए गए थे। 



केवल रिसाव भरने से क्या होगा



ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब डैम की मिट्‌टी की लेयर में खामियां है और इन्हें प्रॉपर रोलर कर नहीं बनाया गया तो ऐसे में केवल रिसाव वाली जगह पर मिट्‌टी भरने से क्या होगा? जब तक ऊपर की मिट्‌टी हटाकर फिर से रोलकर मिट्‌टी की पर्तें नहीं बिछाई जाती है, ऐसे में डैम को लेकर हमेशा आशंका बनी रहेगी।



एक तिहाई क्षमता में ही रिस गया डैम



304 करोड के इस प्रोजेक्ट की कुल जल ग्रहण क्षमता 45 एमसीएम है, लेकिन 11 अगस्त को जब डैम में मात्र 15 एमसीएम पानी थी, तभी इसमें रिसाव शुरू हो गया और डैम के फूटने का संकट आ गया। जिसके चलते चार दिन की मशक्कत के बाद और 18 गांव के लोगों को शिफ्ट करने के बाद चैनल बनाकर बांध को साइड से तोड़ा गया और पानी को निकाला गया। अब अगली बारिश में जब पूरी क्षमता से पानी भरता तो फिर डैम कितना मजबूत होगा, इस पर अभी से सवाल उठ रहे हैं। 



ब्लैकलिस्ट कंपनी को ही फिर क्यों मिला काम



सवाल यह भी उठ रहे हैं जिस एएनएस और सारथी कंपनी को इस घटना के लिए जिम्मेदार मानते हुए ब्लैकलिस्ट किया गया, उन्हें ही फिर रिपेयर का काम क्यों दिया गया। दरअसल इसका कारण प्रोजेक्ट की शर्तें हैं, जुलाई 2018 में एएनएस कंस्ट्रक्शन को यह 99 करोड़ का प्रोजेक्ट टर्नकी आधार पर दिया गया, यानि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद या इस दौरान कोई टूट-फूट होती है तो कंपनी इसे बिना अतिरिक्त भुगतान लिए फिर से ठीक करके देगी। इसी शर्त के कारण सरकार इन्हीं कंपनियों से यह प्रोजेक्ट रिपेयर करा रही है। 



इधर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत क्लोज, बोले कर दी कार्रवाई



उधर लोकेश सोलंकी ने कारम डैम में घटिया काम और इससे संभावित दुर्घटना को लेकर फरवरी 2022 में सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायत आखिरकार फोर्स क्लोज कर दी गई। इसमें कहा गया है कि इस मामले में शासन ने कार्रवाई करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। अन्य कार्रवाई जारी है, इसलिए शिकायत को क्लोज किया जाता है। 



यह है मामला



कारम डैम में 11 अगस्त को रिसाव की सूचना आई। इसके बाद मप्र शासन ने फैसला लिया कि चैनल बनाकर पानी को निकाला जाए, नहीं तो कभी भी डैम फूट सकता है। 14 अगस्त की रात को जाकर चैनल बनाकर पानी बाहर निकाला जा सका। इस पूरे मामले को मप्र शासन ने आपदा प्रबंधन को अभूतपूर्व उदाहरण माना और खुद की और इस काम में लगे अधिकारी, कर्मचारियों की जमकर पीठ थपथपाई। पूरे मामले में जांच के लिए टीम बनाई, इसमें पाया गया कि डैम बनाने में कंपनी ने जल्दबाजी की। इसमें डैम के सुपरवीजन से जुड़े आठ अधिकारियों को निलंबित करने के साथ ही प्रोजेक्ट लेने वाली कंपनी एएनएस और सारथी को ब्लैकलिस्ट किया गया। अब बारिश बंद होने के बाद कंपनी डैम को रिपेयर करने के काम कर रही है।


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