मध्य प्रदेश के दागी इन 6 फॉरेस्ट अफसरों पर सरकार मेहरबान, हाईलेवल पर पर जाकर दब जाती हैं फाइलें

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Harish Divekar
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मध्य प्रदेश के दागी इन 6 फॉरेस्ट अफसरों पर सरकार मेहरबान, हाईलेवल पर पर जाकर दब जाती हैं फाइलें

BHOPAL.  वन विभाग में अफसरों का जंगल राज देखने में आ रहा है, यहां कई अफसरों पर आर्थिक अनियमितता से लेकर नियम-विरुद्ध काम करने के आरोप लगे, कुछ की तो प्रारंभिक जांच में दोषी भी पाए गए, लेकिन इन पर अब तक ठोस एक्शन सरकार नहीं ले पाई। वजह राजनीतिक है या प्रशासनिक, ये बताना मुश्किल है। सच ये है कि इन अफसरों की फाइलें जिस तेजी से एक्शन के लिए उपर जाती हैं, उतनी ही तेजी से इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही सार्वजनिक मंचों से जीरो टॉलरेंस की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में इसका उलट हो रहा है। दागी अफसरों पर एक्शन ना होने से दूसरे अफसरों को गलत काम करने का बढ़ावा जरूर मिल रहा है। सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू वन विभाग को पत्र लिखकर आईएफएस अफसर की जानकारी तलब कर रही हैं, लेकिन वन विभाग की शिकायत और सतर्कता शाखा की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा। सरकारी ढर्रे के चलते कई अफसर तो रिटायर हो गए, लेकिन मामला खत्म नहीं हुआ।  



एक नजर प्रमुख मामलों पर 



1. एपीएस सेंगर- इन पर आरोप है कि इन्होंने टीकमगढ़ में डीएफओ रहते हुए ओरछा और टीकमगढ़ रेंज में चैन लिंकिग फेंसिंग खरीदी में गड़बड़ी की। सेंगर पर आरोप है कि इन्होंने तय स्पेसिफिकेशन के विपरीत जाकर इंदौर के एक ही व्यक्ति की दो अलग-अलग फर्म अमन इंटरप्राईजेज और सोनल उद्योग इंदौर से चेन लिंक फेंसिंग का सामान खरीदा। मामले की प्रारंभिक जांच में सेंगर दोषी पाए गए। वन विभाग ने 24 अगस्त 22 को आरोप पत्र बनाकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) मुख्यालय सतपुड़ा को भेज दिया था, लेकिन आज तक आरोप पत्र जारी नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है कि सेंगर पर एक्शन लेने की बजाय मुख्यालय के आला अफसर इन्हें बालाघाट सर्किल में पूर्णकालिक पदस्थ करने की तैयारी कर रहे हैं, अभी तक सेंगर के पास बालाघाट सर्किल का एडिशनल चार्ज है।  



2. नवीन गर्ग- इन पर आरोप है कि अतिरिक्त प्रभार में रहते हुए इन्होंने बीना बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना में पौधरोपण घोटाला किया। सरकार ने इसकी जांच असीम श्रीवास्तव पीसीसीएफ (उत्पादन) को सौंपी। श्रीवास्तव की प्रारंभिक जांच में वृक्षारोपण घोटाला साबित हुआ। श्रीवास्तव ने रिपोर्ट में बताया कि वृक्षारोपण में बताए गए पौधों की संख्या से 60 हजार से ज्यादा पौधे कम मिले। इसके अलावा 16 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र का घेराम कम मिला। श्रीवास्तव ने इस मामले में डीएफओ गर्ग सहित मैदानी अमले को भी दोषी ठहराते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की। वर्तमान में गर्ग दक्षिण सागर में पदस्थ है। 



3. अभिनव पल्लव- इन पर आरोप है कि ग्वालियर में पदस्थ के दौरान इन्होंने सरकार की अनुमति के बगैर 83 कर्मचारियों के तबादले कर दिए। पल्लव ने इन कर्मचारियों के तबादले कार्य आवंटन के नाम पर कर दिए, जिससे सरकार की अनुमति ना लेना पड़े। मामले में शिकायत के बाद वन मुख्यालय ने पल्लव से स्पष्टीकरण तलब किेया, जिसका वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसके बाद विभाग ने इनके खिलाफ कार्यवाही करने की फाईल भी चलाई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।



4. बृजेंद्र श्रीवास्तव- इनके खिलाफ भी सरकार की अनुमति के बिना तबादले करने का आरोप है। श्रीवास्तव ने पल्लव के नक्शे कदम पर चलते हुए कार्य विभाजन के नाम पर कर्मचारियों के तबादले कर दिए। विभाग ने इन्हें हाल ही में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिस तरह से हाईलेवल पर पल्लव की फाइल दब गई, उसी तरह श्रीवास्तव की फाईल भी ठंडे बस्ते में जाने की संभावना है।  



5. गौरव चौधरी- इन पर दो गंभीर आरोप हैं। पहला ये कि सीधी में डीएफओ रहते हुए उन्होंने ई-भुगतान और बैंकर्स चैक में हेराफेरी कर आर्थिक अनियमितता की है। चौधरी पर दूसरा आरोप है कि सतना के एक एनजीओ को चेक से गलत भुगतान करना। पिछले तीन साल से इस मामले की जांच लोकायुक्त संगठन कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि शिकायत एवं सतर्कता शाखा चौधरी को बचाने के लिए लोकायुक्त के सवालों का गोल मोल जवाब देकर जांच को लटकाए हुए है। 



6. अजय यादव- इन पर आरोप है कि रीवा सर्किल में उनके कार्यकाल में आर्थिक अनियमितता हुई है। इस मामले में लोकायुक्त में लंबे समय से मामला पेडिंग चल रहा था। हाल ही लोकायुक्त ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अजय यादव के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान लोकायुक्त संगठन ने कार्रवाई करने की हिदायत दी है।


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