कमलेश सारडा, NEEMUCH. आज के समय में शिक्षा का व्यापार हो रहा है लेकिन अभी भी कई शिक्षक ऐसे हैं जो अपने कर्म से बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। नीमच में इसी तरह के कई शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम हर शनिवार और रविवार को झुग्गी बस्तियों में जाकर कचरा बीनने, भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही है। ये टीम शहर की 2 झुग्गी बस्तियों के 40 बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा दे रही है। बच्चों की शिक्षा में रुचि बनाए रखने के लिए हमेशा अलग-अलग तरह का नाश्ता भी ले जाते हैं। शिक्षा के साथ शिक्षक इन्हें सूर्य नमस्कार, योग, प्रणायाम भी सिखा रहे हैं। इससे बच्चे स्वस्थ रह कर अच्छे काम कर सकें।
शिक्षकों की टीम ने गरीब बच्चों के जीवन को सुधारने का बीड़ा उठाया
नीमच शहर की झुग्गी बस्तियों के कई बच्चे कचरा बीनने, भीख मांगने और मजदूरी का काम करते हैं। इनके पालकों के भी शिक्षित नहीं होने से वे शिक्षा को महत्व नहीं देते। अब शहर के शिक्षकों की टीम ने इन बच्चों के जीवन को सुधारने का बीड़ा उठाया है। महिला बाल विकास वन स्टॉप सेंटर पर कार्यरत पूजा शिक्षक शबनम खान, सीआरपीएफ स्कूल की शिक्षक प्रीतिबाला निर्मल, पर्यावरण प्रेमी किशोर बागड़ी, एमपी ऑनलाइन संचालक नवनीत, सोशल विषय के प्रोफेसर अनूप चौधरी समेत कई लोगों की टीम हर शनिवार-रविवार 2 से 3 घंटे झुग्गी बस्तियों में जाकर उनके घर के आसपास ही बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। वर्तमान में स्कीम नंबर 36 बी उत्कृष्ट स्कूल के पास और निरोगधाम के सामने झुग्गी बस्तियों में ओपन कक्षा लगाई जा रही है। इन्होंने कोरोना के बाद 2-3 बच्चों के साथ क्लास लगाने की शुरुआत की। आज इनकी ओपन कक्षाओं में करीब 40 बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। बच्चों को अंग्रेजी, हिंदी, गणित का ज्ञान दिया जा रहा है।
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बच्चों को कराया जाता है नाश्ता
बच्चों में पढ़ाई की रूचि बनी रहे और सभी बच्चे कक्षाओं में आएं इसके लिए शिक्षकों की टीम शनिवार-रविवार को अलग-अलग तरह का नाश्ता भी कराती है। शिक्षक इनके लिए खिचड़ी, आलू बड़ा, पोहा जैसे अलग-अलग तरह का नाश्ता ले जाते हैं। इस कार्य में पायल जैन, रौनक दुग्गड़, भाग्य पांडे, नवनीत अरोन समेत कई सदस्य अपनी सेवाएं देते हैं।
सब्जियों के नाम से सिखाई जा रही है पढ़ाई
किशोर बागड़ी, अनूप चौहान ने बताया कि कोरोना काल में गरीब बस्तियों में भोजन बांटने के दौरान बच्चे दिखे जो स्कूल नहीं जाते थे। इसे देखते हुए इन्हें शिक्षा देने का विचार आया। टीम ने उनके बीच जाकर शिक्षा देने का निर्णय लिया। यह काम आसान नहीं था, पहले पालकों और बच्चों को मानसिक रुप से तैयार किया। शुरू में 2-3 बच्चे ही आते थे लेकिन अब बच्चों को शनिवार और रविवार का इंतजार रहता है। खुले में ब्लैक बोर्ड लगा कर इन्हें ए, बी, सी, डी, अनार, आम, गणित समेत फल, फूल सब्जियों के नाम सिखाएं जा रहे हैं। कुछ से चित्रकारी भी कराते हैं। इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि जाग रही है। इनमें से एक भी बच्चा पढ़ाई में आगे निकल जाएगा तो शिक्षकों की मेहनत सफल हो जाएगी।