एमपी चुनाव से पहले इंदौर में नई गुटबाजी, ताई गुट बैकफुट पर, भाई के सामने CM के विश्वस्त बना रहे नया खेमा, VD के अलग समर्थक

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BP Shrivastava
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एमपी चुनाव से पहले इंदौर में नई गुटबाजी, ताई गुट बैकफुट पर, भाई के सामने CM के विश्वस्त बना रहे नया खेमा, VD के अलग समर्थक

संजय गुप्ता, INDORE. विधानसभा चुनाव  की बेला में मैंने प्यार किया फिल्म का गीत… तू चल मैं आया… की थीम मजबूत हो रही है और इस बार यह अभी तक बीजेपी पर फिट बैठती दिख रही है। सत्यनारायण सत्तन, दीपक जोशी, भंवरसिंह शेखावत के तेवरों के बीच इंदौर बीजेपी में एक-दूसरे को मजबूत करने के लिए नेताओं ने एक-दूसरे के हाथ थामने शुरू कर दिए है। जिसमें नए गुट जन्म ले रहे हैं। इंदौर में 1990 के दशक से ही ताई (पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन) के साथ ही भाई (कैलाश विजयवर्गीय) गुट की राजनीति हावी रही, इसमें दोनों के बीच लक्ष्मण सिंह गौड़ की अलग उपस्थिति थी। अब ताई गुट विलुप्त प्राय हो गया है और भाई गुट के सामने एक नया गुट पनप रहा है। जो सीएम शिवराज सिंह चौहान की ही छाया कहा जा सकता है। वहीं, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के कुछ समर्थक अलग से मौजूद हैं।





सीएम गुट इस तरह बढ़ता जा रहा





सीएम गुट में वैसे हमेशा से ही विधायक मालिनी गौड़ और मनोज पटेल रहे हैं। सुदर्शन गुप्ता वैसे तो नरेंद्र तोमर के समर्थक हैं, लेकिन वह सीएम के भी पसंद के रहे हैं। संघ से जब सुहाष भगत, प्रदेश में सक्रिय थे तब उस समय इंदौर में जयपाल सिंह चावड़ा, सावन सोनकर, गौरव रणदिवे यह तीनों अलग से मजबूत हुए। भगत के जाने के बाद यह गुट सीएम गुट में तब्दील हो गया, क्योंकि इन्हें भी किसी बड़े हाथ की जरूरत थी। इस गुट में बाद में गोलू शुक्ला, मालिनी गौड़, मनोज पटेल भी शामिल हो गए।





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इसलिए जरूरी है एक-दूसरे का हाथ थामना





इस गुट के हर व्यक्ति को एक-दूसरे का हाथ थामना समय की नजाकत और मजबूरी है। चावड़ा भी कहीं ना कहीं टिकट की उम्मीद में हैं। हाल ही में बजट बैठक के दौरान भाई गुट के विशेष सदस्य विधायक रमेश मेंदोला ने चावड़ा को लेकर कटाक्ष कर दिया था कि आईडीए तो पूरे काम अमीरों के हित में ही कर रहा है। ऐसे में चावड़ा को अपनी राजनीतिक पकड़ और मजबूत करना है। वहीं मनोज पटेल को टिकट मिलेगा तो केवल सीएम के कारण ही, यही स्थिति गुप्ता की है। उधर गोलू शुक्ला के लिए टिकट की मुश्किल पहले से थी यानी उन्हें कोई भी पद मिलता तो वह सीएम का सहारा था, जो उन्हें आईडीए में मिल गया है। मालिनी गौड़ की अयोध्या पर सांसद शंकर लालवानी के साथ ही अन्य की नजर है। बीते तीन माह में वह फिर से सक्रिय हो गई है और उन्हें अपनी अयोध्या बचाना है। वहीं, सावन सोनकर का पत्ता सांवेर से कट चुका है, उन्हें भी आयोग में जगह इस गुट के कारण मिली है। सांसद शंकर लालवानी इस गुट के साथ दिखते जरूर है लेकिन वह केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह का नाम लेकर अकेले ही चलते हैं।





भाई गुट अपने आप में सक्षम





भाई गुट शुरुआत से ही अपने आप में सब पर भारी पड़ता रहा है। चाहे अपने पुत्र (आकाश) को टिकट दिलाना हो या अपने मित्र (रमेश मेंदोला) को विधानसभा टिकट दिलाना हो, वह हर काम में सभी को पछाड़ते रहे हैं। महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर भी इस गुट में होने की मुहर लग चुकी है। इसके चलते भार्गव अभी भी सीएम की गुडलिस्ट में जगह नहीं बना सके हैं। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का उन पर वरदहस्त मौजूद है, वह मूल रूप से उन्हीं के साथ है। विधायक आकाश विजयवर्गीय अपनी विधानसभा में तेजी से सक्रिय हो गए हैं, लेकिन हाल ही में जिस तरह उनकी विधानसभा में बेलेशवर महादेव मंदिर के वाबड़ी कांड के दौरान मालिनी गौड़ ने लीड ली और मंदिर समिति को सीधे सीएम से मिलवा दिया,।उससे पिता-पुत्र दोनों सचेत हो गए हैं। इस समिति को लेकर भी मालिनी और भाई गुट में अंदरूनी तनातनी तेज हो गई है, क्योंकि इसमें आरोप लग रहे है कि गौड़ की इस समिति ने एक समाज विशेष को अधिक तवज्जो दी गई है, ताकि उनका वोट बैंक बना रहे, और विजयवर्गीय की विधानसभा के जुड़े लोगों को कम तवज्जो मिली है। विधानसभा तीन सबसे छोटी विधानसभा है और हार-जीत पांच-छह हजार वोट के अंदर हो जाती है, ऐसे में भाई गुट भी अलर्ट मोड पर आ गया है। वहीं इस गुट के मुखिया विजयवर्गीय ने संघ और संगठन में अपनी पैठ तेज कर दी है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट को लेकर अंतिम फैसला इन्हीं से होगा, क्योंकि उन्हें भी पता है कि चुनाव के समय विधानसभा दो और तीन के लिए कई दावेदार उछल कर आएंगे और फिर परिवारवाद जैसे कई मुद्दे उछाले जाएंगे। इसी गुट के एक अन्य सदस्य जीतू जिराती एक बार फिर राउ से दावेदार बनकर उभर रहे हैं और गुजरात चुनाव में जमकर काम करके वह संगठन के भी करीब हुए हैं। 





महापौर के लिए असमंजस, वीडी ही सिरमौर 





प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा एबीवीपी से जुड़े रहे हैं और तभी से उनके मधुर संबंध पुष्यमित्र भार्गव से रहे हैं। उनके शपथ समारोह में भले ही सीएम नहीं आए, लेकिन वह मौजूद रहे। महापौर फिलहाल एक मजबूत राजनीतिक धरातल की तलाश में हैं। वह संघ की पसंद से यहां तक तो पहुंच गए, लेकिन शहर में काम करने और दिखाने के लिए उन्हें कई हाथ और खासकर सीएम के हाथ की जरूरत होगी, जो अभी उनके लिए फिसलन भरे हैं। उधर, वीडी शर्मा के साथ एमआईसी सदस्य अभिषेक बबलू शर्मा, बीजेपी आर्थिक प्रकोष्ठ के संयोजक योगेश मेहता, मधु वर्मा भी जुड़े हुए हैं। यह सभी मैदान में सक्रिय हो चुके हैं और हर कोई अगले विधानसभा चुनाव में अपनी भूमिका की तलाश कर रहा है। वहीं टीनू जैन भी अपनी भूमिका की तलाश में हैं जो हर गुट के साथ खड़े दिख रहे हैं।



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