आजादी के 75 साल बाद भी भारतीय नारी की नहीं बराबर की हिस्सेदारी, छोटे चुनावों में मौका लेकिन बड़े चुनाव में नाम मात्र की ​भागीदारी

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आजादी के 75 साल बाद भी भारतीय नारी की नहीं बराबर की हिस्सेदारी, छोटे चुनावों में मौका लेकिन बड़े चुनाव में नाम मात्र की ​भागीदारी

अरुण तिवारी/रुचि वर्मा, BHOPAL. आजादी के 75 साल बाद क्या महिलाएं, पुरुषों के बराबर मानी जा रही हैं। ये सवाल आज भी मुंह बाए खड़ा है। सवाल इसलिए है क्योंकि राजनीति से लेकर प्रशासनिक सेवाओं तक महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले बहुत कम है। अच्छी बात ये है कि स्थानीय चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है जिससे उनको ज्यादा मौका मिला है। प्रदेश के पंचायत और निकाय चुनाव में 60 फीसदी महिलाएं जीतकर आई हैं। लेकिन विधानसभा में पिछले दो दशकों में 10 फीसदी से ज्यादा महिलाएं जनप्रतिनिधि नहीं बन पाईं। वहीं पुलिस, प्रशासनिक और न्यायिक सेवाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 6 से 15 फीसदी तक ही है। 





लोकल चुनाव में वूमन पॉवर





प्रदेश में हाल ही में हुए पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव में महिला शक्ति नजर आई। 50 फीसदी आरक्षण से आगे बढ़कर 60 फीसदी जनप्रतिनिधि के रुप में महिला चेहरों ने जीत हासिल की। यानी दस फीसदी पुरुष सीटों पर भी महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया। 





इतनी है लोकल चुनाव में हिस्सेदारी







  • जनपद पंचायत — 313 में 167 महिलाएं



  • सरपंच — 22 हजार 924 में 12 हजार 600 महिलाएं


  • पंच — 3 लाख 63 हजार 350 में 2 लाख 9 हजार 754 महिलाएं


  • महापौर — 16 में से 9 महिलाएं


  • नगरपालिका और नगर परिषद — 347 के 6507 पार्षदों में 3885 महिलाएं






  • विधानसभा में हिस्सेदारी 10 फीसदी भी नहीं







    • 2003 में 19 महिलाएं



  • 2008 में 22 महिलाएं


  • 2013 में 18 महिलाएं


  • 2018 में 21 महिलाएं






  • पुरुषों के हस्तक्षेप से बाहर निकलने की चुनौती 





    स्थानीय निकायों में भले ही 60 फीसदी महिलाएं जनप्रतिनिधि बन गई हों लेकिन उनके सामने पुरुषों यानी पति,बेटे और अन्य परिजनों के हस्तक्षेप को रोकने और अपनी अलग पहचान बनाने की चुनौती है। हाल ही के चुनाव में ये उदाहरण देखने को मिले जब पत्नी के पंच चुने जाने पर पति शपथ लेने पहुंच गए। जिला पंचायत के चुनाव में निर्वाचित महिला सदस्यों की जगह प्रॉक्सी वोट के रुप में पुरुषों ने वोट डाले और महिलाएं बैठी रहीं। अपने कामकाज में पति और बेटे के दखल को सख्ती से रोकना होगा। अपना काम अपनी समझ और अन्य अधिकारियों के साथ समन्वय बिठाकर करना होगा। सरकारी कार्यालयों में आने-जाने में परिजनों का दखल कम करना होगा। 





    पुलिस में महज छह फीसदी हिस्सेदारी 





    गृह मंत्रालय में मार्च 2022 में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें पुलिस में महिला कर्मचारियों की सहभागिता दिखाई गई है। ये आंकड़े 2020 तक के लिए गए हैं। मध्यप्रदेश में महज 6.03 महिला पुलिसकर्मी हैं। हालांकि अब सरकार ने पुलिस भर्ती में महिलाओं को 30 फीसदी का आरक्षण दिया है और नई भर्ती में 30 फीसदी महिलाओं की भर्ती की जा रही है। 







    • डीजी,स्पेशल डीजी — 0



  • एडीजी — 5


  • आईजी — 2


  • डीआईजी — 4


  • एआईजी,एसपी,कमांडेंट — 12


  • एडिशनल एसपी,डिप्टी कमांडेंट — 45


  • एएसपी — 150


  • इंस्पेक्टर — 181


  • एसआई — 996


  • एएसआई — 221


  •  हेड कांस्टेबल — 432


  • कांस्टेबल — 3953


  • महिला पुलिसकर्मियों की कुल संख्या — 6001






  • न्यायिक सेवा में हाईकोर्ट में 10 फीसदी जज : कानून मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2021 तक के आंकड़े







    • हाईकोर्ट — 3



  • सिविल जज,जूनियर — 300


  • सिविल जज,सीनियर — 133


  • जिला जज — 103


  • महिला वकील — 1 लाख 12 हजार 390 वकीलों में महिला वकीलों की संख्या 17 हजा 996 यानी 0.16 फीसदी






  • 52 जिलों में से सिर्फ 4 में महिला डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट





    मध्य प्रदेश सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 52 जिलों में से सिर्फ 4 जिले ही ऐसे हैं जहाँ पर महिला आईएएस अधिकारी को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पद पर पोस्टिंग दी गई है। बाकी के 48 जिलों में पुरुष आईएएस अधिकारी ही  डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर पर तैनात हैं। अनूपपुर, अशोकनगर, मंडला और शहडोल वे चार जिले है जहाँ महिला डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर हैं। अनूपपुर जहाँ सोनिया मीणा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। वहीँ अशोकनगर में उमा महेश्वरी आर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/ कलेक्टर हैं। मंडला की डिस्ट्रिक्ट  कलेक्टर हर्षिका सिंह हैं और शहडोल में वंदना वैद्य डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं। साढ़े आठ करोड़ की जनसंख्याँ वाले मध्य प्रदेश के 52 जिलों में सिर्फ 4 जिलों में महिला डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होने के हिसाब से ये संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है। यही नहीं सरकार के सभी 61 विभागों के CS से लेकर सेक्रेटरी और कमिश्नर तक में सिर्फ 9 ही महिलाएँ हैं।



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