इंदौर संभाग के आदिवासी बीजेपी नेताओं ने जताई नाराजगी, बोले सर्वे में हमारे ही टिकट कटते हैं, जयस को अधिकारी कर रहे फंडिंग

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BP Shrivastava
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इंदौर संभाग के आदिवासी बीजेपी नेताओं ने जताई नाराजगी, बोले सर्वे में हमारे ही टिकट कटते हैं, जयस को अधिकारी कर रहे फंडिंग

संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी में विरोध और बगावत के सुर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब मालवा-निमाड़ के आदिवासी सीटों के बीजेपी नेताओं ने भी पार्टी को आईना दिखा दिया है। शुक्रवार (19 मई) शाम को हातोद रोड स्थित एक निजी गार्डन में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ इंदौर संभाग की 19 आदिवासी सीटों के नेताओं ने चर्चा में साफ कह दिया की बीजेपी सर्वे के नाम पर आदिवासियों के ही सबसे ज्यादा टिकट काटती है। वहीं अलीराजपुर क्षेत्र के बीजेपी नेता तो यहां तक कह गए कि अधिकारी जयस को फंडिंग कर रहे हैं और उनके दबाव में हैं। 





नेताओं ने पूछ लिया आखिर यह कौन सा सर्वे होता है?





विजयवर्गीय इन दिनों मालवा-निमाड़ में पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं के मन की बात जानने में लगे हुए हैं। इसी के चलते यह बैठक बुलाई गई थी। इसमें आदिवासी अंचल के एक पूर्व विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि बीजेपी आदिवासियों के सबसे ज्यादा टिकट काटती है। ऐसा कौन सा सर्वे है, जिसके आधार पर सिर्फ आदिवासी विधायकों के टिकट काटे जाते हैं और सामान्य-ओबीसी नेताओं के टिकट नहीं कटते हैं। साल 2018 के चुनाव में 13 मंत्री हार गए, उनका सर्वे में नाम नहीं था क्या? हम लोगों के टिकट काटना बंद करो। गलती का सुधार करवाओ। टिकट मिलने ना मिलने का दबाव लेकर जी रहे हैं। अनुसूचित जनजाति मोर्चा के एक प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास कई बार ट्रांसफर का आवेदन लेकर गया, लेकिन एक भी अफसर का ट्रांसफर नहीं हुआ। हमको ट्रांसफरखोर समझ लिया है। इस तरह से बीजेपी सरकार व्यवहार कर रही है जैसे कि हम पैसे लेकर ट्रांसफर करवा रहे हों।





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विजयवर्गीय बोले अफसर नहीं सुन रहे तो सबक सिखाओ





एक नेता ने कहा कि हमारी लोकसभा-राज्यसभा की राशि स्थानीय अफसरों ने रोक रखी है। 3-4 करोड़ की राशि पेंडिंग है। कैसे क्षेत्र में विकास करवाएं। यह अधिकारी किसी की नहीं सुनते हैं और इनका कुछ नहीं होता है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा राजनीति डेयरिंग से की जाती है। अफसर सुन नहीं रहे तो सबक सिखाओ। ट्रांसफर समाधान नहीं है।





जयस को तो अधिकारी ही फंडिंग कर रहे





आलीराजपुर के एक बीजेपी नेता ने कहा शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में हम जनता की सेवा कैसे करेंगे। एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि अफसर जयस के दबाव में काम करते हैं और जयस को फंडिंग तक कर रहे हैं। जयस ग्राउंड लेवल पर जाकर काम कर रही है। हमें भी मैदान में उतरना होगा। एक नेता ने कहा, सर्वे के नाम पर विधायकों को डराया जा रहा है।





बगावत की चेतावनी भी दे गए आदिवासी नेता





बैठक के बाद पूर्व विधायक वेलसिंह भूरिया ने कहा एससी-एसटी की सीनियरिटी कम करने के लिए आदिवासियों का टिकट काटा जाता है। सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का सर्वे में आ जाए कि वो 50 हजार वोटों से हार रहे हैं तो भी टिकट नहीं काटा जाता। सर्वे में आदिवासी उम्मीदवार जीत भी रहा हो तो उसका टिकट काट दिया जाता है। वहीं एक बीजेपी नेता ने कहा कि हमारी नहीं सुनी गई तो बगावत हो सकती है। राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी ने कहा आदिवासी विधायक-सांसद अपनी बात रखने के लिए इकट‌्ठा हुए थे। वरिष्ठों को समस्याएं बताई हैं। पूर्व विधायक नागरसिंह चौहान ने कहा मिशन 2023 को लेकर बैठक की थी। टिकट किसी को भी मिले हमें पार्टी को जिताना है।





युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे ने कहा बैठक में सभी से सामान्य चर्चा हुई है। अपने-अपने क्षेत्र की चुनौतियां हैं। संगठन या सरकार के खिलाफ कोई बात नहीं हुई। बैठक में सांसद गजेंद्रसिंह पटेल, पंधाना विधायक श्रीराम दांगोरे, कलसिंह भाबर, भाजपा प्रदेश मंत्री जयदीप पटेल, पंधाना विधायक श्रीराम दांगोरे भी मौजूद थे।





आदिवासी सीटों पर क्या रहा है बीजेपी का हाल





इंदौर संभाग में कुल 37 सीट हैं। इसमें आदिवासियों की सीट 19 है। इसमें साल 2018 के चुनाव में आदिवासियों की 19 सीट में से बीजेपी के खाते में मात्र चार सीट आई थीं। कांग्रेस के पास 14 और निर्दलीय के खाते में एक सीट (खरगोन के भगवानपुरा की) गई थी। 



इंदौर संभाग की बात करें तो साल 2018 के चुनाव में आदिवासी सीटों पर यह हुआ था







  • धार जिले की सात में से पांच आदिवासी सीट हैं, इन सभी पर कांग्रेस जीती।



  • झाबुआ की तीन आदिवासी सीटों में से दो कांग्रेस ने जीतीं, एक बीजेपी ने जीती।


  • अलीराजपुर की दोनों आदिवासी सीट कांग्रेस के खाते में गई।


  • बड़वानी में चार आदिवासी सीट हैं, इसमें तीन कांग्रेस और एक बीजेपी जीती थी।


  • खरगोन जिले में छह सीट में से आदिवासी की दो सीट हैं, जिसमें एक कांग्रेस और एक निर्दलीय के खाते में गई।


  • बुरहानपुर जिले में आदिवासी की एक सीट है, जो कांग्रेस के खाते में गई थी।


  • खंडवा जिले में आदिवासी की दो सीट हैं, जो बीजेपी के पास गई थी।




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